कामाख्या बद्रीनाथ सिद्धपीठ में 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन, विशेष पूजा, यज्ञ और भजन-कीर्तन की भव्य तैयारियां पूरी

बद्रीनाथ धाम (चित्तौड़गढ़-कोटा मार्ग) पर स्थित माँ कामाख्या सिद्धपीठ में 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन होगा। देशभर से भक्तों के आगमन के बीच विशेष पूजा, यज्ञ, भजन-कीर्तन और आध्यात्मिक अनुष्ठानों की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

कामाख्या बद्रीनाथ सिद्धपीठ में 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन, विशेष पूजा, यज्ञ और भजन-कीर्तन की भव्य तैयारियां पूरी

बद्रीनाथ धाम में 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन बड़े भक्ति भाव और वैदिक रीति से किया जाएगा। चित्तौड़गढ़-कोटा मार्ग पर स्थित यह सिद्धपीठ माँ कामाख्या और माँ बगलामुखी की दिव्य शक्ति से जुड़ा है, जिसे स्वयंभू शक्तिपीठ माना जाता है। हर वर्ष की भांति इस बार भी महोत्सव को लेकर विशेष तैयारी की गई है, और देशभर से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है।

वैदिक यज्ञ और हवन की विशेष व्यवस्था

इस अवसर पर हरिद्वार से पधारे वैदिक आचार्य श्री आकाश जुयाल द्वारा मंत्रोच्चार के साथ पूजा, यज्ञ और हवन संपन्न कराए जाएंगे। यह आयोजन पूरी तरह वैदिक परंपराओं और शास्त्रोक्त विधि के अनुसार होगा, जिससे श्रद्धालु गहन आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कर सकें।

सजावट, भजन-कीर्तन और प्रसादी का आयोजन

मंदिर परिसर को पारंपरिक पीले व लाल रंगों की सजावट से भव्य रूप में सजाया गया है। साथ ही, भजन-कीर्तन मंडलियों द्वारा संगीतमय प्रस्तुतियां दी जाएंगी और अंत में सभी भक्तों के लिए महा प्रसादी की विशेष व्यवस्था की गई है।

 श्रद्धालुओं का उत्साह और व्यापक भागीदारी

मेवाड़ धर्म प्रमुख श्री श्री रोहित गोपाल सूत जी महाराज ने बताया कि यहाँ की गई श्रद्धा और आराधना से मनोकामनाएं चमत्कारिक रूप से पूर्ण होती हैं। संस्था के सचिव राहुल शर्मा ने बताया कि दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात समेत अनेक राज्यों से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो चुका है।

 आयोजन समिति की पूरी टीम सक्रिय

महोत्सव की सफल तैयारी में राजस्थान अध्यक्ष रतन सोमानी, दिल्ली अध्यक्ष अशोक जिंदल, कथा समिति अध्यक्ष हरिओम गोयल, वेद प्रकाश गर्ग, युधिष्ठिर राणा, अशोक खिची, यश खटोड़, आनंद खटोड़, तारा देवी जरवाल, सुनीता देवी कुलवाल, ब्रज किशोर स्वदेशी, राहुल मनराल, देवेंद्र नागर, और प्रहलाद थेपड़िया सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।

आस्था, शक्ति और संस्कृति का संगम

यह महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि गुरु परंपरा की जीवंत धारा, सांस्कृतिक मूल्यों का उत्सव, और आध्यात्मिक