सिकलीगर विरासत विकास सेवा संस्थान ने माजी के घाट पर किया पर्यावरण और संस्कृति का संगम: विशेष पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित

सिकलीगर विरासत विकास सेवा संस्थान ने उदयपुर के माजी के घाट पर पौधारोपण कर पर्यावरण जागरूकता और सांस्कृतिक विरासत को जोड़ा।

सिकलीगर विरासत विकास सेवा संस्थान ने माजी के घाट पर किया पर्यावरण और संस्कृति का संगम: विशेष पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित
सिकलीगर विरासत विकास सेवा संस्थान ने माजी के घाट पर किया पर्यावरण और संस्कृति का संगम: विशेष पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित
सिकलीगर विरासत विकास सेवा संस्थान ने माजी के घाट पर किया पर्यावरण और संस्कृति का संगम: विशेष पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित

उदयपुर, 2 जुलाई 2025:

राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और ऐतिहासिक शिल्प की पहचान रखने वाला सिकलीगर समाज अब पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी अग्रसर है। इसी कड़ी में सिकलीगर विरासत विकास सेवा संस्थान ने आज उदयपुर के ऐतिहासिक माजी के घाट पर एक विशेष पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया।

इस आयोजन का उद्देश्य सिर्फ हरियाली बढ़ाना नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति, समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाना भी था।

कार्यक्रम का संचालन और सहभागिता:

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष श्री दिलीप परिहार (सिकलीगर) ने की। इस दौरान देव परिहार, दिशानी सिकलीगर और वंशिका सिकलीगर जैसी नई पीढ़ी के प्रतिनिधियों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों के कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे।
यह कार्यक्रम सामूहिक सहभागिता और पर्यावरणीय चेतना का सजीव उदाहरण बना।

कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य:

उद्देश्य:
सिकलीगर विरासत विकास सेवा संस्थान का मुख्य लक्ष्य अपने समुदाय की अमूल्य सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और शिल्पकारी विरासत का संरक्षण करना है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण को भी संस्थान की प्राथमिकताओं में रखा गया है। इस पौधारोपण के माध्यम से संस्थान ने:

पर्यावरण संरक्षण एवं हरा-भरा उदयपुर बनाने का संकल्प लिया।

नई पीढ़ी में जिम्मेदारी एवं सेवा भाव जागृत किया।

सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव और आत्म-सम्मान बढ़ाया।

समुदाय के विकास एवं स्वच्छता अभियानों को प्रोत्साहित किया।


भविष्य की योजनाएं:
कार्यक्रम के बाद संस्था के अध्यक्ष दिलीप परिहार ने आगामी सामाजिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सांस्कृतिक जागरूकता जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर चर्चा की। यह पहल सिकलीगर समुदाय के समृद्ध और सशक्त भविष्य की दिशा में एक मजबूत आधार तैयार करेगी।

संस्कृति और पर्यावरण का संगम:
सिकलीगर विरासत विकास सेवा संस्थान न केवल अपने शिल्प और शाही कलात्मक वह परंपरागत शस्त्र निर्माण की परंपरा को संजोएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ इतिहास और संस्कृति के संरक्षण के लिए भी निरंतर प्रयासरत रहेगा। इस कार्यक्रम ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत दोनों का संरक्षण एक-दूसरे के पूरक हैं और दोनों की रक्षा आवश्यक है।