उदयपुर: आंगनबाड़ी सुपरवाइज़र अंजू बाला की आत्महत्या ने खोली भ्रष्टाचार की परतें, अधिकारियों पर गंभीर आरोप
उदयपुर की आंगनबाड़ी सुपरवाइज़र अंजू बाला ने आत्महत्या से पहले वीडियो में ₹1.5 लाख रिश्वत मांगने, मानसिक उत्पीड़न और भेदभाव के आरोप लगाए।

उदयपुर, राजस्थान |
राजस्थान के उदयपुर जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। धानमंडी थाना क्षेत्र में कार्यरत आंगनबाड़ी सुपरवाइज़र अंजू बाला (55 वर्ष) ने शुक्रवार रात करीब 10 बजे जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। लेकिन इससे पहले उन्होंने एक विडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उन्होंने चार विभागीय अधिकारियों पर रिश्वत मांगने और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया।
विडियो बयान: आरोपों की पूरी तस्वीर
अंजू बाला ने आत्महत्या से पहले रिकॉर्ड किए गए वीडियो में भावुक स्वर में कहा:
“अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता… अधिकारी मानसिक रूप से बहुत परेशान कर रहे हैं। कह रहे हैं - नौकरी बचानी है तो डेढ़ लाख दो, नहीं तो किसी और को रख लेंगे।”
उन्होंने स्पष्ट रूप से अतिका अहमद, शारदा बंशीवाल, जया वीरवाल और दिनेश मीणा का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि ये अधिकारी उन्हें रिश्वत देने के लिए मजबूर कर रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि विभाग में धार्मिक भेदभाव हो रहा है, जिससे उन्हें और भी अधिक मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा था।
परिवार का आरोप: दबाव, धमकी और अन्याय
अंजू बाला के बेटे अनमोल दलाल ने बताया कि उनकी माँ को कार्यक्षेत्र से हटाने (भूमिकान्तर) की धमकी दी गई थी। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो नौकरी से निकालने की चेतावनी दी गई।
बेटी निशा पितलिया का कहना है कि दो अन्य सुपरवाइज़र—जो कि रिश्तेदार (बुआ और भतीजी) थीं—ने मिलकर अंजू बाला को लगातार परेशान किया। इसके पीछे भी प्रशासनिक और राजनीतिक गठजोड़ होने की आशंका जताई गई है।
परिवार ने बताया कि अंजू बाला ही घर की एकमात्र कमाऊ सदस्य थीं, और वेतन खोने के डर से परिवार पहले से ही आर्थिक दबाव में था।
जांच की स्थिति: एफआईआर, जब्ती और पूछताछ
पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया है। अंजू बाला का मोबाइल, विडियो रिकॉर्डिंग और कॉल डिटेल्स जब्त कर लिए गए हैं और इनकी तकनीकी जांच शुरू कर दी गई है।
अस्पताल में भारी भीड़ जमा हो गई थी, जहां परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया जब तक आरोपी अधिकारी गिरफ्तार नहीं किए जाएं।
राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
स्थानीय विधायक ताराचंद जैन ने अस्पताल पहुंचकर परिजनों से मुलाकात की और निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि इस मामले में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है।
व्यवस्थागत सवाल: क्या सिर्फ एक अंजू की कहानी?
यह घटना सिर्फ एक आत्महत्या नहीं है, बल्कि राजस्थान में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की दुर्दशा, भ्रष्टाचार और राजनीतिक संरक्षण की पोल खोलती है। अंजू बाला की मौत के पीछे एक पूरा सिस्टम है जो ईमानदार कर्मचारियों को प्रताड़ित करता है और उन्हें आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर कर देता है।
न्याय की मांग और जवाबदेही का समय
अंजू बाला का निधन एक चेतावनी है कि अगर समय रहते भ्रष्टाचार और उत्पीड़न पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह संकट और गहराएगा। पीड़ित परिवार के साथ न्याय और दोषियों पर कठोर कार्यवाही ही इस मामले का सही निष्कर्ष होगा।