Nimisha Priya Case: केरल की नर्स की फांसी टली, यमन में धार्मिक नेताओं की पहल से मिला जीवनदान
केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन भारत और यमन के धार्मिक नेताओं की कूटनीतिक कोशिशों से उनकी फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। जानिए कैसे एक फुलप्रूफ प्लान ने उनके जीवन को दिया नया मोड़।
नई दिल्ली। यमन की जेल में मौत की सजा का इंतज़ार कर रही केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी फिलहाल टल गई है। यह राहत भारत और यमन के प्रमुख धार्मिक नेताओं की कूटनीतिक और सामाजिक कोशिशों का परिणाम है। भारत की ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद और यमन के सुप्रसिद्ध आलिम शेख उमर बिन हफीज की पहल ने इस मुश्किल मोड़ पर निमिषा को राहत दिलाई है।
मामला क्या है?
निमिषा प्रिया 2008 में बेहतर आय के लिए यमन गई थीं। शुरुआत में उन्होंने वहां के अस्पतालों में बतौर नर्स काम किया, बाद में खुद का एक छोटा क्लिनिक भी शुरू किया। यमन के कानूनों के अनुसार, उन्हें स्थानीय पार्टनर बनाना जरूरी था, जिसके लिए उन्होंने तलाल अब्दोल मेहदी को पार्टनर बनाया। लेकिन कुछ समय बाद तलाल ने उनके पैसे और पासपोर्ट पर कब्जा कर लिया और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान करने लगा।
2017 में निमिषा ने तलाल को बेहोश करने के लिए उसे सेडेटिव दवा दी, ताकि वह पासपोर्ट वापस लेकर देश लौट सके। दुर्भाग्यवश, ओवरडोज़ से तलाल की मौत हो गई और निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उन्हें यमन की अदालत ने मौत की सजा सुना दी।
कैसे बची जान?
भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और महीनों से यमन सरकार और स्थानीय धार्मिक नेतृत्व से संवाद किया। ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर ने यमन के प्रभावशाली आलिम शेख उमर से संपर्क किया, जिनके शागिर्दों ने तलाल के परिवार से लगातार बातचीत की। दोनों परिवारों के सुन्नी समुदाय से जुड़े होने के कारण यह संवाद सफल रहा।
कई दौर की बातचीत के बाद, तलाल का परिवार फांसी की सजा को फिलहाल टालने के लिए राजी हो गया है। हालांकि अब भी यह केवल स्थगन है, अंतिम रूप से माफी नहीं मिली है।
ब्लड मनी की पेशकश भी हुई थी
भारत सरकार और निजी स्तर पर लोगों ने ब्लड मनी के रूप में तलाल के परिवार को भारी धनराशि देने की पेशकश की थी। सूत्रों के अनुसार, 2 करोड़ की मांग पर भी भारत ने 20 करोड़ तक देने की बात कही, लेकिन फिर भी परिवार राजी नहीं हुआ। इसके बाद धार्मिक नेतृत्व की भूमिका निर्णायक साबित हुई।
भारत सरकार की भूमिका
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार यह पूरी प्रक्रिया बेहद शांत, सतत और संवेदनशील प्रयासों का परिणाम रही। सऊदी अरब स्थित भारतीय दूतावास में यमन मामलों के अधिकारी ने लगातार मध्यस्थता की। इजरायल-ईरान तनाव के चलते प्रयासों में रुकावट आई, लेकिन फिर से प्रक्रिया शुरू की गई और सफलता मिली।
क्या आगे होगा?
निमिषा की फांसी भले ही फिलहाल टल गई हो, लेकिन उन्हें पूर्ण माफी या सजा में बदलाव दिलाने के लिए भारत सरकार, धार्मिक संस्थाएं और सामाजिक संगठन अभी भी प्रयासरत हैं। फिलहाल उम्मीद की किरण बरकरार है, और निमिषा को एक नया जीवन मिल सकता है।