चित्तौड़गढ़ के रहस्यमयी कामाख्या मंदिर में अंबुबाची महोत्सव, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

चित्तौड़गढ़ के स्वयंभू कामाख्या मंदिर में अंबुबाची महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। मां के रजस्वला काल के बाद विशेष पूजा और यज्ञ के साथ कपाट खुलेंगे।

चित्तौड़गढ़ के रहस्यमयी कामाख्या मंदिर में अंबुबाची महोत्सव, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
चित्तौड़गढ़ के रहस्यमयी कामाख्या मंदिर में अंबुबाची महोत्सव, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
चित्तौड़गढ़ के रहस्यमयी कामाख्या मंदिर में अंबुबाची महोत्सव, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

चित्तौड़गढ़, 25 जून 2025 – राजस्थान के चित्तौड़गढ़-कोटा मार्ग पर स्थित माँ कामाख्या बद्रीनाथ योग मंदिर में इन दिनों श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। इस मंदिर में अंबुबाची महोत्सव पूरे विधि-विधान और तांत्रिक परंपराओं के अनुसार मनाया जा रहा है। यह मंदिर स्वयंभू माना जाता है और मां बगलामुखी तथा मां कामाख्या की चमत्कारी शक्तियों से जुड़ा हुआ है।

पीठाधीश्वर श्री श्री रोहित गोपाल सूत जी महाराज के अनुसार, अंबुबाची पर्व मां कामाख्या के मासिक धर्म चक्र को दर्शाता है। इस दौरान मंदिर के कपाट तीन दिनों के लिए बंद रहते हैं, जिसे "रजस्वला काल" कहा जाता है। यह काल 26 जून को पूर्ण होगा, जिसके बाद मंदिर को विधिवत खोला जाएगा।

कपाट खुलते ही मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार, दिव्य औषधियों से स्नान, और विशेष यज्ञ-पूजन की व्यवस्था की गई है। मान्यता है कि इस समय की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं चमत्कारिक रूप से पूर्ण होती हैं।

महाराज जी ने बताया कि यह पर्व धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और प्राकृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह प्रकृति की चक्रवृत्ति – मासिक धर्म – को सम्मान देने का प्रतीक है। प्राचीन काल में इस दौरान खेती-बाड़ी का कार्य भी रोका जाता था।

हर वर्ष की भांति इस बार भी देशभर से हजारों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन व पूजा के लिए पहुंच रहे हैं। उन्हें विश्वास है कि जो भी इस पर्व के नियमों का पालन करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।