सम्पूर्ण हिन्दू समाज की एकता ही भारत की सुरक्षा और विकास की गारंटी : मोहन भागवत | आरएसएस शतक समारोह नागपुर
नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विजयादशमी और शतक समारोह में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने सम्पूर्ण हिन्दू समाज की एकता को भारत की सुरक्षा और विकास की गारंटी बताया। उन्होंने आत्मनिर्भरता, स्वदेशी, पर्यावरणीय संकट, पड़ोसी देशों की अस्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर दिया। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द और दलाई लामा के संदेश सहित देश-विदेश के गणमान्य अतिथि इस अवसर पर उपस्थित रहे।
सम्पूर्ण हिन्दू समाज का संगठित स्वरूप ही भारत की एकता, विकास और सुरक्षा की गारंटी : डॉ. मोहन भागवत
नागपुर, 2 अक्तूबर 2025।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्थापना शताब्दी वर्ष के अवसर पर नागपुर के ऐतिहासिक रेशीमबाग मैदान में विजयादशमी उत्सव का भव्य आयोजन हुआ। हजारों स्वयंसेवकों और देश-विदेश के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में आयोजित इस समारोह में संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि “सम्पूर्ण हिन्दू समाज का बल सम्पन्न और शील सम्पन्न संगठित स्वरूप ही भारत की एकता, एकात्मता, विकास और सुरक्षा की गारंटी है।”
उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज किसी अलगाव की मानसिकता से ग्रस्त नहीं है, बल्कि वह सर्वसमावेशक है और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की उदार विचारधारा का संवाहक है। इसी उद्देश्य को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सम्पूर्ण हिन्दू समाज को संगठित करने के कार्य में निरंतर जुटा हुआ है।
स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर जोर
डॉ. भागवत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनना ही होगा। उन्होंने अमेरिका की आयात शुल्क नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रत्येक देश अपने हित को प्राथमिकता देता है और ऐसे में भारत को भी अपनी नीतियों का पुनर्विचार करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा – “विश्व परस्पर निर्भरता पर जीता है, किन्तु यह परस्पर निर्भरता हमारी मजबूरी न बने। इसके लिए हमें आत्मनिर्भर बनना ही होगा क्योंकि स्वदेशी और स्वावलम्बन का कोई विकल्प नहीं है।”
पर्यावरणीय संकट और हिमालय की चेतावनी
डॉ. भागवत ने वैश्विक उपभोगवादी नीतियों के दुष्परिणामों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इनके चलते जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक असंतुलन की स्थिति भयावह हो रही है।
उन्होंने कहा कि भारत में भी अनियमित वर्षा, भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाएं पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ी हैं।
उन्होंने चेताया कि – “दक्षिण एशिया का सारा जलस्रोत हिमालय से आता है। उस हिमालय में बार-बार प्राकृतिक आपदाएं आना केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरे की घंटी है।”
उपद्रवी शक्तियों से सावधान
संघ प्रमुख ने पड़ोसी देशों की अस्थिरता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसक आंदोलनों के कारण सत्ता परिवर्तन हुआ।
उन्होंने कहा कि भारत में भी उपद्रव फैलाने वाली शक्तियां सक्रिय हैं।
“शासन और प्रशासन का समाज से टूटता हुआ संबंध, लोकाभिमुख नीतियों का अभाव और असंतोष की स्थिति, उपद्रव का कारण बन सकती है। लेकिन हिंसक आंदोलनों से स्थायी परिवर्तन संभव नहीं है। केवल लोकतांत्रिक मार्ग से ही समाज में आमूलचूल बदलाव लाए जा सकते हैं।”
राष्ट्रीय सुरक्षा और चुनौतियाँ
डॉ. भागवत ने कहा कि भारत के सामने चुनौतियाँ कई गुना बढ़ गई हैं। उन्होंने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख किया जिसमें 26 श्रद्धालुओं की निर्मम हत्या हुई थी। इस घटना के बाद भारत सरकार ने सेना के साथ मिलकर सख्त और योजनाबद्ध कार्रवाई की।
उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति पहले से बेहतर हुई है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए न्याय, विकास, सद्भाव और संवेदना की व्यापक योजना बनानी होगी।
सामाजिक और सांस्कृतिक एकता पर बल
डॉ. भागवत ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है — अनेक भाषाएँ, पंथ, जाति और भौगोलिक विविधताएं यहाँ की पहचान हैं।
उन्होंने कहा – “हमारी इन विविधताओं को भेद का कारण नहीं बनना चाहिए। इन सबके बावजूद हम सब एक बड़े समाज, संस्कृति और राष्ट्र के अंग हैं। यही हमारी सर्वोपरि पहचान है।”
उन्होंने समाज को संदेश दिया कि सबकी आस्था और श्रद्धा का सम्मान होना चाहिए और मन, वचन, कर्म से किसी का अपमान नहीं होना चाहिए।
अराजकता और हिंसा पर चेतावनी
भागवत जी ने सामाजिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की और कहा कि छोटी-छोटी बातों पर सड़कों पर उतरकर कानून अपने हाथ में लेना, गुंडागर्दी करना या हिंसा फैलाना ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि – “ऐसी प्रवृत्तियों की रोकथाम जरूरी है। शासन-प्रशासन को नियम के अनुसार निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए और समाज की सज्जन शक्ति तथा युवा पीढ़ी को भी सजग रहना होगा।”
पंचपरिवर्तन कार्यक्रम
संघ प्रमुख ने पंचपरिवर्तन कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि यह समाज के परिवर्तन और उत्थान के लिए जरूरी है। इसके अंतर्गत –
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सामाजिक समरसता
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कुटुम्ब प्रबोधन
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पर्यावरण संरक्षण
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स्वबोध और स्वदेशी
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नागरिक अनुशासन और संविधान पालन
को जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान किया गया।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का संबोधन
समारोह के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द जी ने कहा कि RSS विश्व की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संस्था है, जिसने निरंतर राष्ट्रभक्ति और समाज सेवा का कार्य किया है।
उन्होंने कहा – “डॉ. भीमराव आम्बेडकर और डॉ. हेडगेवार मेरे जीवन के प्रेरणास्रोत रहे। संविधान की शक्ति और संघ की विचारधारा दोनों ने मुझे समाज और राष्ट्र को समझने की दृष्टि दी।”
कोविन्द जी ने कहा कि विविधताओं के बावजूद हम सब एक समाज के अंग हैं और जिन लोगों का हाथ छूट गया है, उन्हें आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी हमारी है।
दलाई लामा का संदेश
इस अवसर पर बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का विशेष संदेश भी पढ़ा गया। उन्होंने संघ की सौ वर्षीय यात्रा को सेवा और समर्पण का अनुपम उदाहरण बताया।
उन्होंने कहा कि RSS ने शिक्षा, सामाजिक विकास और आपदा राहत में भी उल्लेखनीय कार्य किया है और भारत को भौतिक तथा आध्यात्मिक दृष्टियों से सशक्त बनाया है।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
समारोह में देश-विदेश से कई विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। इनमें –
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लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता (सेवानिवृत्त)
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कोयम्बटूर की डेक्कन इंडस्ट्रीज के एमडी के. वी. कार्तिक
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बजाज फिनसर्व के अध्यक्ष व एमडी संजीव बजाज
सहित अफ्रीका, यूरोप और एशिया के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
शस्त्रपूजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम
कार्यक्रम की शुरुआत शस्त्रपूजन, ध्वजारोहण और प्रार्थना से हुई। इसके बाद स्वयंसेवकों ने संचलन, घोष, योगासन और नियुद्ध का प्रदर्शन किया। सांघिक गीत और स्वागत संबोधन के बाद ध्वजावतरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।