विश्वविख्यात शिल्पग्राम उत्सव 21 दिसंबर से, लोककला-संस्कृति का भव्य संगम उदयपुर में

उदयपुर में 21 दिसंबर से शुरू हो रहा विश्वविख्यात शिल्पग्राम उत्सव। 22 राज्यों के 900 लोक कलाकार, 400 क्राफ्ट स्टॉल्स, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और कोमल कोठारी पुरस्कार आकर्षण का केंद्र।

विश्वविख्यात शिल्पग्राम उत्सव 21 दिसंबर से, लोककला-संस्कृति का भव्य संगम उदयपुर में

21 दिसंबर से शुरू होगा विश्वविख्यात शिल्पग्राम उत्सव, लोककला-संस्कृति का होगा भव्य महासंगम

उदयपुर, 19 दिसंबर।
लेकसिटी उदयपुर एक बार फिर देश-दुनिया की लोककला और सांस्कृतिक विरासत का साक्षी बनने जा रही है। विश्वविख्यात शिल्पग्राम उत्सव का शुभारंभ रविवार, 21 दिसंबर से होने जा रहा है, जिसमें भारत की विविध लोक परंपराओं, नृत्य-संगीत, हस्तशिल्प और सांस्कृतिक रंगों का भव्य संगम देखने को मिलेगा। दस दिवसीय इस उत्सव के पहले दिन दोपहर 3 बजे से प्रवेश पूर्णतः निःशुल्क रहेगा।

उत्सव का उद्घाटन राजस्थान के राज्यपाल एवं पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के अध्यक्ष श्री हरिभाऊ किसनराव बागड़े द्वारा पारंपरिक नगाड़ा वादन के साथ किया जाएगा। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे, जबकि पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक श्री गुलाब चंद कटारिया अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।

इस अवसर पर उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत, चित्तौड़गढ़ सांसद श्री सी.पी. जोशी, राज्यसभा सांसद श्री चुन्नीलाल गरासिया, उदयपुर शहर विधायक श्री ताराचंद जैन एवं उदयपुर ग्रामीण विधायक श्री फूलचंद मीणा भी समारोह की शोभा बढ़ाएंगे। 


लोककलाओं की जीवंत प्रस्तुति का अनूठा मंच

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि शिल्पग्राम उत्सव देश का ऐसा विशिष्ट आयोजन है, जहां लोककलाओं को केवल मंच तक सीमित नहीं रखा जाता, बल्कि दर्शक स्वयं इनसे भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। उत्सव में 22 राज्यों के करीब 900 लोक कलाकार भाग लेंगे और 91 लोक कला दल देश की 82 से अधिक लोककलाओं की प्रस्तुतियां देंगे।

शिल्पग्राम परिसर में बने विभिन्न थड़ों पर बहरूपिया, कच्छी लोक गायन, कच्ची घोड़ी, राठवा, गवरी, मांगणियार, कालबेलिया, तेरह ताल, चकरी, अल्गोजा वादन, मशक वादन जैसी लोककलाओं की प्रस्तुतियां दिनभर चलती रहेंगी।


कोमल कोठारी स्मृति लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

इस वर्ष डॉ. कोमल कोठारी स्मृति लाइफटाइम अचीवमेंट लोक कला पुरस्कार से

  • डॉ. निरंजन वल्लभभाई राज्यगुरु (राजकोट, गुजरात)

  • श्री रामनाथ चौधरी (जयपुर, राजस्थान)

को सम्मानित किया जाएगा। प्रत्येक कलाकार को रजत पट्टिका एवं 2.51 लाख रुपए की सम्मान राशि प्रदान की जाएगी। यह पुरस्कार लोक कला के संरक्षण और संवर्धन में दिए गए विशिष्ट योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।


पत्थरों में तराशी गई कलाकृतियां बनेंगी आकर्षण का केंद्र

उत्सव में 12 विशेष स्टोन स्कल्पचर दर्शकों को आकर्षित करेंगे, जिनमें पुराना कैमरा, टेलीफोन, रेडियो, वायलिन, किताब, बल्ब, बूट, लोमड़ी, बैगपाइप और भाप का इंजन शामिल हैं। इन मूर्तियों को देश के युवा मूर्तिकारों ने विशेष रूप से शिल्पग्राम उत्सव के लिए तैयार किया है।
साथ ही 12 राशियों के प्रतीक चिह्न, वाद्य यंत्रों की मूर्तियां और घूमर नृत्य करती राजस्थानी वेशभूषा की पुतलियां भी दर्शकों के लिए खास आकर्षण रहेंगी।


फोटोग्राफी, पेंटिंग और मिनिएचर मॉडल प्रदर्शनी

संगम हॉल में आयोजित प्रदर्शनी में शिल्पग्राम और उत्सव विषय पर चयनित फोटोग्राफ्स, वर्षभर आयोजित कार्यशालाओं में बनी पेंटिंग्स तथा सहेलियों की बाड़ी, सज्जनगढ़, फतेहसागर पाल, घंटाघर जैसे ऐतिहासिक स्थलों के मिनिएचर मॉडल प्रदर्शित किए जाएंगे।


युवाओं के लिए ‘हिवड़ा री हुक’ और कार्यशालाएं

22 से 29 दिसंबर तक प्रतिदिन बंजारा मंच पर दोपहर 1 से 4 बजे तक ‘हिवड़ा री हुक’ कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें दर्शक स्वयं अपनी प्रस्तुतियां दे सकेंगे। इसके साथ ही सांस्कृतिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी होगी।
उत्सव के दौरान ट्राइबल मास्क, पेपरमैशी और कठपुतली की दस दिवसीय कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी।


पहले दिन की विशेष प्रस्तुतियां

पहले दिन

  • डॉ. प्रेम भंडारी के निर्देशन में राजस्थानी लोक गीतों पर आधारित विशेष मेडले

  • महाराष्ट्र की लावणी और कथक का अनूठा संयोजन

  • 14 राज्यों के 200 कलाकारों द्वारा कोरियोग्राफ नृत्य प्रस्तुति

दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेगी। प्रतिदिन शाम 6 बजे मुख्य मंच पर विशेष कार्यक्रम होंगे।


400 क्राफ्ट स्टॉल्स और 4 फूड जोन

उत्सव में 400 से अधिक क्राफ्ट स्टॉल्स लगेंगी, जिनमें देशभर के 800 शिल्पकार अपने हस्तनिर्मित उत्पाद प्रदर्शित और विक्रय करेंगे। साथ ही चार फूड जोन बनाए गए हैं, जहां 12 राज्यों के पारंपरिक व्यंजन उपलब्ध होंगे।


लोक विरासत के संरक्षण का संदेश

मेले के दौरान विभिन्न स्थानों पर स्क्रीन के माध्यम से लोक कला और शिल्प पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्में भी दिखाई जाएंगी। पूरा शिल्पग्राम परिसर राजस्थान की हवेली और लोक परिवेश की थीम पर सजाया गया है।


शिल्पग्राम उत्सव 2025 न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि भारत की समृद्ध लोक विरासत, संस्कृति और शिल्प परंपरा को सहेजने और आगे बढ़ाने का सशक्त मंच भी है।