जनजातीय गौरव वर्ष 2025: बिरसा मुंडा की प्रेरणा से प्रदेशभर में कृषक संगोष्ठियां, 7,500 से अधिक किसान हुए सहभागी

राजस्थान में जनजातीय गौरव वर्ष 2025 के तहत कृषि विभाग द्वारा प्रदेशभर में कृषक संगोष्ठियों का आयोजन किया गया। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर किसानों को उनके जीवन संघर्ष, जल-जंगल-जमीन की रक्षा और प्राकृतिक खेती के संदेश से प्रेरित किया गया। उदयपुर जिले में 72 ग्राम पंचायतों में 7,500 से अधिक किसानों ने भाग लिया।

जनजातीय गौरव वर्ष 2025: बिरसा मुंडा की प्रेरणा से प्रदेशभर में कृषक संगोष्ठियां, 7,500 से अधिक किसान हुए सहभागी
जनजातीय गौरव वर्ष 2025: बिरसा मुंडा की प्रेरणा से प्रदेशभर में कृषक संगोष्ठियां, 7,500 से अधिक किसान हुए सहभागी

जनजातीय गौरव वर्ष-2025: प्रदेशभर में कृषक संगोष्ठियों का आयोजन, धरती आबा बिरसा मुंडा के विचारों से प्रेरित हुए किसान

उदयपुर, 
मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की पहल पर भगवान बिरसा मुण्डा की 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़े के तहत शुक्रवार को प्रदेशभर में कृषि विभाग द्वारा भव्य कृषक संगोष्ठियों का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों में किसानों को धरती आबा भगवान बिरसा मुण्डा के जीवन संघर्ष, उनके समाज सुधार आंदोलनों और जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए किए गए योगदान से रूबरू कराया गया। 

संगोष्ठियों में वक्ताओं ने बताया कि बिरसा मुंडा ने न केवल ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया, बल्कि जनजातीय समाज को आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान की राह पर अग्रसर किया। उन्होंने जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए जो आंदोलन छेड़ा, वह आज भी प्रकृति संरक्षण और पर्यावरण संतुलन की प्रेरणा देता है।


वंदे मातरम् गीत की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा

कार्यक्रमों में वंदे मातरम् गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर भी विशेष सत्र आयोजित किया गया। वक्ताओं ने राष्ट्रगीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और स्वतंत्रता आंदोलन में उसके योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “वंदे मातरम्” केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है जिसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जन-जन में राष्ट्रभक्ति की ज्योति प्रज्वलित की। 


किसानों को मिली नवीन कृषि तकनीकों और योजनाओं की जानकारी

कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने किसानों को प्राकृतिक और जैविक खेती, जल संरक्षण, फसल विविधिकरण और आधुनिक तकनीकों के उपयोग पर विस्तृत जानकारी दी। साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, कृषि बीमा योजना, मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड, ड्रिप एवं फव्वारा सिंचाई योजनाएं सहित कई लाभकारी योजनाओं की जानकारी साझा की।

किसानों को इन योजनाओं का अधिकतम लाभ लेने के लिए प्रेरित किया गया ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और पर्यावरण के अनुकूल खेती पद्धतियां अपनाएं। 


उदयपुर में 72 ग्राम पंचायतों में हुई गोष्ठियां, 7,500 से अधिक किसानों की भागीदारी

उदयपुर जिले में जनजातीय गौरव वर्ष के तहत विशेष रूप से 72 ग्राम पंचायतों में 72 किसान गोष्ठियां आयोजित की गईं, जिनमें लगभग 7530 किसानों ने भाग लिया।
कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक निरंजन सिंह राठौड़ ने भगवान बिरसा मुंडा के व्यक्तित्व और उनके जनजागरण कार्यों पर प्रकाश डाला, जबकि संयुक्त निदेशक सुधीर वर्मा ने वंदे मातरम् गीत की व्याख्या के साथ-साथ सरकार की प्राकृतिक खेती मिशन योजनाओं की जानकारी दी।

इस अवसर पर श्यामलाल सालवी, सहायक निदेशक (कृषि विस्तार), ने किसानों को जीवामृत, पंचामृत, बीजामृत, दसपर्णी अर्क जैसे जैविक घटकों को स्वयं तैयार कर गौ-आधारित खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया। 

प्राकृतिक खेती मिशन प्रभारी शिवदयाल मीणा ने किसानों को बिरसा मुंडा की प्रेरणा से जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा के लिए प्राकृतिक खेती अपनाने की शपथ दिलाई। साथ ही, किसानों से धरती माता बचाव अभियान के तहत संतुलित एवं जैविक उर्वरकों के उपयोग का संकल्प भी कराया गया।


ग्रामीण विकास और स्वावलंबन का संदेश

कार्यक्रमों के माध्यम से जनजातीय गौरव वर्ष की भावना — “धरती से जुड़ाव, स्वावलंबन और राष्ट्रभक्ति” — को जन-जन तक पहुंचाया गया। किसानों ने बिरसा मुंडा के विचारों को अपने जीवन में अपनाने और प्राकृतिक खेती के माध्यम से धरती माता की रक्षा करने का संकल्प लिया।