मानवाधिकार आयोग सदस्य जस्टिस आर.एस. झाला का उदयपुर केंद्रीय कारागृह निरीक्षण | सुविधाओं की समीक्षा व निर्देश

राजस्थान मानवाधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस रामचन्द्र सिंह झाला ने उदयपुर केंद्रीय कारागृह का निरीक्षण किया। भोजन गुणवत्ता, बैरक व्यवस्था, चिकित्सा सुविधाओं और विधिक सेवाओं की समीक्षा कर आवश्यक निर्देश दिए। पूरी खबर पढ़ें।

मानवाधिकार आयोग सदस्य जस्टिस आर.एस. झाला का उदयपुर केंद्रीय कारागृह निरीक्षण | सुविधाओं की समीक्षा व निर्देश

मानवाधिकार आयोग सदस्य जस्टिस आर.एस. झाला ने केंद्रीय कारागृह उदयपुर का किया निरीक्षण, बंदियों की सुविधाओं पर दिए आवश्यक दिशा-निर्देश

उदयपुर, 28 नवम्बर।
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस श्री रामचन्द्र सिंह झाला ने शुक्रवार को उदयपुर स्थित केंद्रीय कारागृह का निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के संयुक्त निदेशक गिरीश भटनागर भी मौजूद रहे। 

निरीक्षण के दौरान जस्टिस झाला ने सबसे पहले कारागृह की भोजनशाला का दौरा किया और बंदियों को परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता, साफ-सफाई तथा भोजन बनाने की समग्र व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की। इसके बाद उन्होंने बंदियों के रहने की बैरकों का निरीक्षण कर वहां उपलब्ध सुविधाओं और भीड़भाड़ की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने जेल अधीक्षक को निर्देश दिए कि आवासीय व्यवस्था को लेकर विशेष ध्यान रखा जाए ताकि बंदियों की बुनियादी जरूरतें समय पर और सुव्यवस्थित तरीके से पूरी हो सकें।

जस्टिस झाला ने बंदियों से बातचीत कर उनकी समस्याएं सुनीं और उन्हें निःशुल्क विधिक सेवाएं, पैरोल, स्थाई पैरोल तथा समय-पूर्व रिहाई की प्रक्रिया से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने के लिए अधीक्षक एवं संयुक्त निदेशक को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

चिकित्सा सुविधाओं की समीक्षा के दौरान उन्होंने जेल डिस्पेंसरी में उपलब्ध दवाइयों, स्वास्थ्य सेवाओं और बंदियों के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण के बारे में चिकित्साधिकारी से चर्चा की तथा आवश्यक सुधार संबंधी सुझाव दिए।

केंद्रीय कारागृह पहुंचने पर जेल अधीक्षक राजपाल सिंह ने जस्टिस झाला का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। इसके बाद उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। निरीक्षण के अंत में जस्टिस झाला ने कहा कि बंदियों को दी जा रही सुविधाएं संतोषजनक हैं, और जहां सुधार की आवश्यकता है, वहां जल्द कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

यह निरीक्षण बंदियों की मानवाधिकार सुरक्षा और कारागृह व्यवस्थाओं में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।