सहयोग, नवाचार और महिला सशक्तिकरण पर मंथन | राजीविका राष्ट्रीय सम्मेलन उदयपुर
राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) द्वारा आयोजित एग्रीकल्चर एंड लाइवस्टॉक एंटरप्रेन्योरशिप राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन सहयोग, नवाचार और महिला सशक्तिकरण पर गहन मंथन हुआ। देशभर से आए विशेषज्ञों, उद्यमियों और महिला समूहों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की रणनीतियों पर विचार साझा किए।
एग्रीकल्चर एंड लाइवस्टॉक नेशनल कांफ्रेंस का दूसरा दिन रहा सार्थक
सहयोग, नवाचार और महिला सशक्तिकरण पर हुआ गहन मंथन
उदयपुर, 12 नवम्बर। राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका), ग्रामीण विकास विभाग, राजस्थान सरकार एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एग्रीकल्चर एंड लाइवस्टॉक एंटरप्रेन्योरशिप पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का दूसरा दिन सहयोग, नवाचार और महिला सशक्तिकरण की दिशा में गहन विचार-विमर्श का साक्षी बना।
इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव श्री शैलेश कुमार सिंह ने ऑनलाइन माध्यम से सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान अपने सशक्त स्वयं सहायता समूह (SHG) ढांचे और ग्रामीण उद्यमशीलता की भावना के बल पर एनआरएलएम 2.0 का अग्रणी राज्य बन सकता है। उन्होंने “शी-लाइफ” जैसी पहल के माध्यम से महिलाओं को कृषि और पशुधन आधारित उद्यमों में सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
सम्मेलन में देशभर से आए विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं, उद्यमियों, बैंकिंग प्रतिनिधियों एवं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिला सदस्यों ने भाग लिया। दिनभर चले विभिन्न सत्रों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने, महिला नेतृत्व को प्रोत्साहन देने तथा कृषि-पशुधन आधारित उद्यमिता के विस्तार पर गहन चर्चा हुई।
प्रमुख सत्र “सहयोग के लिए कार्यवाही – आजीविका इकोसिस्टम को सशक्त बनाना” में विशेषज्ञों ने सामूहिक आर्थिक मॉडल के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की रणनीतियों पर विचार साझा किए। महिलाओं के समूह आधारित व्यवसायों को संस्थागत समर्थन और बाजार तक उनकी पहुंच बढ़ाने पर भी चर्चा हुई।
एक अन्य सत्र “क्रेडिट से आगे – अभिनव वित्तीय आर्किटेक्चर” में डिजिटल फाइनेंस प्लेटफॉर्म्स, वैकल्पिक फंडिंग मॉडल्स और ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए किफायती ऋण योजनाओं पर विमर्श किया गया। बैंकों और माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं को ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए अधिक सरल और सुलभ वित्तीय समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में सुझाव दिए गए।
“शी-लाइफ – महिला नेतृत्व वाले कृषि एवं पशुधन उद्यमिता” सत्र में सफल महिला उद्यमियों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण, नवाचार और सहयोग के माध्यम से कैसे ग्रामीण महिलाएँ आत्मनिर्भर बनकर अपने समुदाय में परिवर्तन की अग्रदूत बन रही हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि महिला उद्यमिता को सशक्त करने के लिए सामूहिकता, बाजार तक पहुंच, तकनीकी सहयोग और निरंतर प्रशिक्षण आवश्यक हैं।
सम्मेलन स्थल पर आयोजित प्रदर्शनी में महिला उद्यमियों द्वारा तैयार किए गए कृषि एवं पशुधन उत्पादों ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। ग्रामीण विकास मंत्रालय के उप निदेशक श्री रमन वाधवा ने कहा कि क्षमता निर्माण, तकनीकी नवाचार, बाजार संपर्क और साझेदारी के माध्यम से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जा सकता है।
कार्यक्रम के अंतिम दिन (13 नवम्बर) सम्मेलन के नीति सुझावों का संकलन कर ग्रामीण महिला उद्यमिता के सशक्त रोडमैप पर चर्चा की जाएगी।



