उदयपुर में बाल वाहिनियों की जांच: क्षमता से अधिक बच्चों पर कार्रवाई

उदयपुर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने बाल वाहिनियों की जांच की। कई वाहनों में क्षमता से ज्यादा बच्चे मिले। यातायात पुलिस ने मौके पर कार्रवाई की।

उदयपुर में बाल वाहिनियों की जांच: क्षमता से अधिक बच्चों पर कार्रवाई

उदयपुर में बाल वाहिनियों की सख्त जांच: क्षमता से अधिक बच्चों को ले जाते मिले वाहन, मौके पर हुई कार्यवाही

उदयपुर, 8 दिसम्बर।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उदयपुर के निर्देश पर प्राधिकरण सचिव एवं एडीजे कुलदीप शर्मा ने शुक्रवार को पोलो ग्राउंड क्षेत्र में बाल वाहिनियों की व्यापक जांच की। इस निरीक्षण के दौरान उपाधीक्षक यातायात पुलिस अशोक आंजना भी मौजूद रहे। जांच अभियान का उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मानकों की वास्तविक स्थिति का आकलन करना था।

क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने पर कार्रवाई

जांच के दौरान कई चारपहिया स्कूल वाहनों में निर्धारित क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया जा रहा था। एडीजे शर्मा के अनुसार, यह गंभीर लापरवाही है और ऐसे वाहनों के खिलाफ मौके पर ही यातायात पुलिस द्वारा कार्रवाई की गई।
वहीं, पोलो ग्राउंड क्षेत्र में बिना हेलमेट के वाहन चलाने वाले अभिभावकों को भी रोककर हेलमेट पहनने के लिए जागरूक किया गया।

बाल वाहिनियों के लिए अनिवार्य मानकों की याद दिलाई 

 

एडीजे शर्मा ने कहा कि बाल वाहिनियों की सुरक्षा को लेकर स्पष्ट नियम निर्धारित हैं, जिनका पालन स्कूलों और वाहन संचालकों के लिए अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि—

  • सभी बाल वाहिनियां पूर्ण रूप से पीले रंग में रंगी हों, रंग साफ और स्पष्ट दिखे।

  • वाहन के आगे–पीछे "On School Duty" स्थायी और स्पष्ट रूप से लिखा हो।

  • वाहन के पीछे स्कूल का नाम, पता, फोन नंबर, ड्राइवर और सहायक का नाम सुव्यवस्थित रूप से अंकित हो।

  • वाहन में GPS सक्रिय हो,

  • फर्स्ट एड बॉक्स अद्यतन व उपयोग योग्य हो,

  • वैध अवधि वाला फायर एक्सटिंग्विशर मौजूद हो।

  • दरवाजों पर सुरक्षित लॉकिंग सिस्टम, सभी खिड़कियों पर मजबूत ग्रिल, और इमरजेंसी एग्जिट कार्यशील हो।

  • विशेष रूप से सक्षम बच्चों के लिए रैंप या सुलभ प्रवेश,

  • ड्राइवर के पास वैध लाइसेंस, भारी वाहन का न्यूनतम 5 वर्ष अनुभव, और कोई गंभीर चालना/दुर्घटना रिकॉर्ड न हो।

  • वाहन में टायर, ब्रेक, क्लच, सस्पेंशन, लाइट आदि की मेकैनिकल फिटनेस पूरी हो।

  • किसी भी स्थिति में क्षमता से अधिक बच्चे न बैठाए जाएं।

उन्होंने यह भी कहा कि 12 वर्ष से अधिक आयु के बच्चे को एक पूर्ण सीट माना जाता है, इसलिए वाहन में उनकी संख्या क्षमता के अनुसार ही होनी चाहिए।

अभिभावकों से विशेष अपील

एडीजे शर्मा ने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को केवल उन वाहनों में भेजें जो सभी मानकों के अनुरूप हों। यदि किसी बाल वाहिनी में अनियमितता या गैर–वैध संचालन की जानकारी मिले, तो इसकी शिकायत हेल्पलाइन नंबर 15100 पर दर्ज कराई जा सकती है।

उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा किसी भी प्रकार की लापरवाही की अनुमति नहीं देती। अभिभावक, स्कूल प्रबंधन और वाहन चालक—तीनों की संयुक्त जिम्मेदारी है कि सुरक्षित व नियमों के अनुरूप परिवहन प्रणाली सुनिश्चित की जाए।