उदयपुर में पीड़ित प्रतिकर स्कीम बैठक में 5 केस निस्तारित, 10 लाख रुपये का मुआवजा स्वीकृत
उदयपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक में 5 पीड़ितों को 10 लाख रुपये का मुआवजा स्वीकृत किया गया। विचाराधीन बंदी समीक्षा समिति की बैठक में लंबित मामलों की समीक्षा की गई।
उदयपुर में पीड़ित प्रतिकर स्कीम की बैठक में 5 प्रकरण निस्तारित, 10 लाख रुपये का मुआवजा स्वीकृत
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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक में पीड़ितों को आर्थिक राहत के निर्णय, विचाराधीन बंदियों के मामलों की भी समीक्षा

मुख्य समाचार लेख:
उदयपुर, 16 अक्टूबर।
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के तत्वावधान में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उदयपुर की ओर से पीड़ित प्रतिकर स्कीम (Victim Compensation Scheme) की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता ज्ञान प्रकाश गुप्ता, जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उदयपुर ने की।
बैठक में न्यायालय क्रम संख्या-1 पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश पलविंदर सिंह, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबिका सोलंकी, एडीएम सिटी जितेंद्र ओझा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लखमाराम (प्रतिनिधि जिला पुलिस अधीक्षक), बार एसोसिएशन अध्यक्ष चंद्रभान सिंह शक्तावत, तथा लोक अभियोजक रामकृपा शर्मा उपस्थित रहे।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उदयपुर के सचिव कुलदीप शर्मा ने बताया कि बैठक में 5 प्रकरणों का निस्तारण किया गया, जिनमें पीड़ितों एवं उनके आश्रितों को कुल 10 लाख रुपये के पीड़ित प्रतिकर (मुआवजा) के अवार्ड पारित किए गए। यह राशि पीड़ितों के बचत खातों में जमा कराने तथा एफ.डी.आर. (Fixed Deposit Receipt) करवाने के निर्देश दिए गए ताकि उन्हें दीर्घकालिक आर्थिक सुरक्षा मिल सके।
उन्होंने बताया कि यह प्रतिकर राशि मुख्य रूप से बलात्कार, हत्या और पोक्सो (POCSO) जैसे गंभीर अपराधों के पीड़ितों और उनके परिजनों को दी जाती है। योजना का उद्देश्य पीड़ितों को न्यायिक सहायता के साथ-साथ सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।
इसी क्रम में विचाराधीन बंदी समीक्षा समिति की बैठक भी आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता भी ज्ञान प्रकाश गुप्ता ने की। इस बैठक में उन विचाराधीन कैदियों के प्रकरणों की समीक्षा की गई, जिन्होंने अधिकतम सजा अवधि का आधा भाग पूरा कर लिया है, लेकिन जिनके केस अभी तक न्यायालय में लंबित हैं।
सचिव कुलदीप शर्मा ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण लगातार ऐसे मामलों की समीक्षा कर न्यायिक प्रक्रिया को गति प्रदान कर रहा है, ताकि योग्य बंदियों को समय पर राहत मिल सके।
उन्होंने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण का उद्देश्य केवल न्यायालय तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक "न्याय और संवेदना" पहुंचाना है। इस प्रकार की बैठकें पीड़ितों और बंदियों दोनों के लिए न्याय व्यवस्था की मानवीय पहल को सशक्त करती हैं।
निष्कर्ष:
उदयपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की यह पहल न केवल न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता को बढ़ाती है, बल्कि मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं को न्याय प्रक्रिया में जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।



