आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में तीन दिवसीय क्लिनिकल ट्रायल वर्कशॉप का सफल समापन | चिकित्सकों को मिली वैज्ञानिक, नैतिक और नियामक पहलुओं की गहन जानकारी
आर.एन.टी. मेडिकल कॉलेज, उदयपुर के मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमडीआरयू) में तीन दिवसीय क्लिनिकल ट्रायल वर्कशॉप का सफल समापन हुआ। विशेषज्ञों ने चिकित्सकों और शोधकर्ताओं को क्लिनिकल ट्रायल के वैज्ञानिक, नैतिक और नियामक पहलुओं पर गहन जानकारी दी। कार्यशाला ने साक्ष्य-आधारित चिकित्सा और गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान की दिशा में नई सोच विकसित की।

तीन दिवसीय क्लिनिकल ट्रायल वर्कशॉप का सफल समापन — चिकित्सकों को मिली वैज्ञानिक, नैतिक एवं नियामक पहलुओं की गहन जानकारी
उदयपुर, 16 अक्टूबर।
आर.एन.टी. मेडिकल कॉलेज, उदयपुर के मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमडीआरयू) की ओर से आयोजित तीन दिवसीय क्लिनिकल ट्रायल वर्कशॉप का सफलतापूर्वक समापन हुआ। यह कार्यशाला चिकित्सा जगत में शोध आधारित उपचारों और साक्ष्य-आधारित चिकित्सा को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुई।
इस तीन दिवसीय आयोजन का उद्देश्य चिकित्सकों एवं शोधकर्ताओं को क्लिनिकल ट्रायल के वैज्ञानिक, नैतिक एवं नियामक पहलुओं के प्रति गहन जानकारी देना और उन्हें आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान की नवीनतम प्रक्रियाओं से परिचित कराना था।
विशेषज्ञों की भागीदारी और मार्गदर्शन
कार्यशाला का शुभारंभ आर.एन.टी. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. विपिन माथुर के आतिथ्य में हुआ। इस अवसर पर दत्ता मेघे उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (डीएमआईएचईआर), वर्धा से आए प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने बतौर फैकल्टी सदस्य भाग लिया।
साथ ही भारत सरकार के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR) एवं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) से जुड़े अधिकारी भी पर्यवेक्षक और विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रहे, जिससे आयोजन को राष्ट्रीय स्तर का मार्गदर्शन मिला।
डीएमआईएचईआर के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ डॉ. ज़हीरुद्दीन क़ाज़ी, डॉ. नाजनी खातिब, डॉ. अभय गैधाने, डॉ. पुनीत फुलज़ले तथा डॉ. शिल्पा बावनकुले ने क्लिनिकल रिसर्च के विभिन्न आयामों पर सत्रों का संचालन किया।
इन सत्रों में क्लिनिकल ट्रायल की महत्ता, प्रोटोकॉल विकास, अनुसंधान कार्यान्वयन रणनीतियाँ, नैतिक पहलू, डेटा विश्लेषण, और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क जैसे विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई।
इसके अतिरिक्त ICMR के वैज्ञानिक डॉ. रवि कांत एवं डॉ. गुंजन कुमार ने ऑनलाइन सत्रों के माध्यम से प्रतिभागियों को क्लिनिकल ट्रायल से जुड़ी नवीनतम तकनीकों और नीतियों की जानकारी दी।
विशेषज्ञों के विचार
प्रो. (डॉ. एस. ज़ेड. क़ाज़ी) ने कहा —
“क्लिनिकल ट्रायल आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान की रीढ़ हैं। जब इन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नैतिक मानकों के साथ किया जाता है, तभी समाज को सुरक्षित एवं प्रभावी उपचार मिल पाता है।”
वहीं प्रो. (डॉ. अभय गैधाने) ने कहा —
“प्रत्येक चिकित्सक को शोध से जुड़ना चाहिए ताकि भारत में साक्ष्य-आधारित चिकित्सा को और सशक्त बनाया जा सके। यह न केवल मरीजों के हित में है बल्कि चिकित्सा क्षेत्र की विश्वसनीयता के लिए भी आवश्यक है।”
डीएचआर के अधिकारी डॉ. विजय कृष्णन ने अपने संबोधन में कहा कि—
“गुणवत्तापूर्ण क्लिनिकल ट्रायल को बढ़ावा देकर भारत चिकित्सा अनुसंधान में वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है।”
एमडीआरयू की वैज्ञानिक डॉ. अभिश्वेता ने कहा —
“इस तरह की कार्यशालाएँ चिकित्सकों और शोधकर्ताओं में वैज्ञानिक सोच एवं रिसर्च के प्रति उत्साह जगाने में अत्यंत उपयोगी हैं।”
उपलब्धियाँ और समापन समारोह
कार्यशाला के समापन सत्र में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
इस अवसर पर आयोजन की संयोजक डॉ. गुरदीप कौर ने बताया कि इस कार्यशाला ने प्रतिभागियों को क्लिनिकल ट्रायल की संपूर्ण प्रक्रिया — डिजाइनिंग से लेकर डेटा इंटरप्रिटेशन तक — की व्यावहारिक समझ प्रदान की है।
उन्होंने कहा कि “एमडीआरयू द्वारा इस तरह के आयोजनों से चिकित्सकों में शोध के प्रति आत्मविश्वास और नैतिक जिम्मेदारी का भाव मजबूत होता है।”
एमडीआरयू टीम के वैज्ञानिक डॉ. शैलेष स्वामी, नितेश चौहान, निकित माथुर, कुंदरपाल, आरती, रामकिशोर, विनोद एवं गोपाल ने आयोजन की सफलता में अहम योगदान दिया।
निष्कर्ष
तीन दिवसीय यह क्लिनिकल ट्रायल वर्कशॉप न केवल उदयपुर बल्कि पूरे राजस्थान के चिकित्सा समुदाय के लिए एक प्रेरणादायक पहल साबित हुई।
इसने चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और संस्थानों के बीच साक्ष्य-आधारित चिकित्सा और नैतिक अनुसंधान के नए आयाम खोले हैं।
ऐसे आयोजन भारत को चिकित्सा अनुसंधान में आत्मनिर्भर और वैश्विक मंच पर अग्रणी बनाने की दिशा में मजबूत कदम हैं।