अहमदाबाद प्लेन क्रैश में चमत्कार: रमेश विश्वास ने उड़ते विमान से कूदकर बचाई जान

अहमदाबाद प्लेन क्रैश में 265 लोगों की मौत, लेकिन रमेश विश्वास ने उड़ते विमान से कूदकर बचाई जान। घटना की जानकारी मिलते ही राहत कार्य तेज, चमत्कार की तरह जिंदा बचे।

अहमदाबाद प्लेन क्रैश में चमत्कार: रमेश विश्वास ने उड़ते विमान से कूदकर बचाई जान

गुजरात के अहमदाबाद में बीते गुरुवार को हुए भयानक प्लेन क्रैश हादसे में जहां 265 यात्रियों की मौत ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया, वहीं इस हादसे से जुड़ी एक चौंकाने वाली लेकिन राहत देने वाली खबर भी सामने आई है। बिहार निवासी रमेश विश्वास, जो कि एयर इंडिया की फ्लाइट AI-782 में सवार थे, ने हादसे के ठीक पहले विमान के पिछले दरवाज़े से छलांग लगाकर अपनी जान बचा ली।

रमेश विश्वास लंदन में एक निर्माण कंपनी में काम करने जा रहे थे। उड़ान भरने के महज पांच मिनट बाद ही विमान में जोरदार कंपन शुरू हुआ, और इंजन से धुआं निकलने लगा। रमेश को जब यह महसूस हुआ कि कुछ बेहद गंभीर गड़बड़ी हो चुकी है, तो उन्होंने पीछे मौजूद क्रू के चेतावनी के बावजूद दरवाज़े की ओर दौड़ लगाई। संयोगवश, वह दरवाज़ा खुल गया था और उन्होंने छलांग लगा दी।

गिरते समय रमेश के शरीर पर सुरक्षा उपकरण नहीं थे, लेकिन किस्मत ने उनका साथ दिया। विमान जिस समय निचली ऊंचाई पर उड़ रहा था, वह एक बड़े पेड़ की टहनियों पर आकर गिर पड़े, जिससे उनकी जान बच गई। उनके हाथ और पैर में गंभीर चोटें आई हैं और फिलहाल वह अहमदाबाद सिविल अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार वे पूरी तरह से खतरे से बाहर हैं।

रमेश की यह बहादुरी और किस्मत का यह खेल पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। मीडिया से बात करते हुए रमेश ने कहा, "जब मैंने जहाज में कंपन और आग देखी, तो मुझे अपनी मां की बातें याद आईं — जान बचाने का हर मुमकिन प्रयास करना चाहिए।" उनकी यह बात कई लोगों को भावुक कर गई।

इस हादसे में रमेश विश्वास अकेले ऐसे यात्री हैं जो विमान के अंदर से किसी भी प्रकार से बाहर निकलकर जीवित बच सके। विमान में सवार अधिकांश यात्री हादसे में झुलसकर जान गंवा बैठे।

सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं और एयर इंडिया ने मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की है। वहीं, रमेश विश्वास के साहस और जीवटता की प्रशंसा पूरे देश में हो रही है। उन्हें अब "क्रैश सर्वाइवर" के नाम से जाना जा रहा है।

यह हादसा भारतीय विमानन इतिहास के सबसे दर्दनाक हादसों में से एक है, लेकिन रमेश विश्वास की यह कहानी यह बताती है कि कभी-कभी जीवन की डोर सिर्फ कुछ सेकंड्स और हिम्मत पर टिकी होती है।