देवास परियोजना तृतीय-चतुर्थ चरण को मिली स्टेज-1 स्वीकृति | उदयपुर को मिला भविष्य का जल संबल | कटारिया के प्रयास लाए रंग

देवास परियोजना के तृतीय और चतुर्थ चरण को स्टेज-1 स्वीकृति। उदयपुर की जल सुरक्षा को मिलेगा बड़ा संबल। राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया के प्रयास सफल।

देवास परियोजना तृतीय-चतुर्थ चरण को मिली स्टेज-1 स्वीकृति | उदयपुर को मिला भविष्य का जल संबल | कटारिया के प्रयास लाए रंग

देवास परियोजना-तृतीय एवं चतुर्थ चरण को मिली स्टेज-1 स्वीकृति: उदयपुर को मिला भविष्य का जलसुरक्षा कवच
राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया के सतत प्रयास लाए रंग

उदयपुर, 2 दिसम्बर।
उदयपुर शहर की भावी पीढ़ियों को सुरक्षित, निरंतर और स्थायी पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। लम्बे समय से प्रतीक्षित देवास परियोजना-तृतीय एवं चतुर्थ चरण को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली से स्टेज-1 स्वीकृति प्राप्त हो गई है। यह स्वीकृति केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि उदयपुर की जल समस्या के समाधान में एक निर्णायक पड़ाव मानी जा रही है।

कटारिया के हस्तक्षेप से मिली प्रक्रिया को गति

पंजाब के माननीय राज्यपाल श्री गुलाबचंद कटारिया ने उदयपुर की जल समस्या को प्रदेश तथा केंद्र के उच्च स्तर पर लगातार उठाया। वर्षों से लंबित चल रही वन-स्वीकृति प्रक्रिया को गति देने के लिए उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ नौकरशाहों से कई दौर की चर्चा की।
उनकी सक्रिय मॉनिटरिंग और प्रभावी पहल के कारण ही यह स्वीकृति अपेक्षाकृत कम समय में मिल सकी।

देवास-तृतीय: 703 एमसीएफटी क्षमता का नया बांध

जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता मनोज जैन ने बताया कि देवास-तृतीय परियोजना के तहत गोगुन्दा तहसील के नाथियाथल गांव के निकट 703 एमसीएफटी क्षमता का बांध बनाया जाएगा।

  • इस बांध से जल को 10.50 किलोमीटर लंबी सुरंग के माध्यम से आकोड़दा बांध (देवास-द्वितीय) तक पहुंचाया जाएगा।

  • वहां से मौजूदा प्रणाली द्वारा इसे पिछोला झील में पहुंचाया जाएगा।

देवास-चतुर्थ: 390 एमसीएफटी क्षमता और 4.15 किमी सुरंग

देवास-चतुर्थ के अंतर्गत अम्बा गांव के पास 390 एमसीएफटी क्षमता का बांध प्रस्तावित है।

  • इसे 4.15 किलोमीटर लम्बी सुरंग के माध्यम से देवास-तृतीय परियोजना से जोड़ा जाएगा।

उदयपुर की झीलों को मिलेगा दीर्घकालिक संबल

दोनों परियोजनाओं के पूरा होने पर उदयपुर शहर को

  • कई दशकों तक निर्बाध पेयजल उपलब्ध होगा,

  • पिछोला, फतहसागर और स्वरूपसागर जैसी झीलों का जलस्तर स्थायी रूप से सुरक्षित रहेगा,

  • झीलों का पर्यावरणीय संतुलन और संरक्षण मजबूत होगा,

  • पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा प्रदान होगी।

राज्यपाल कटारिया ने व्यक्त की प्रसन्नता

स्टेज-1 स्वीकृति पर राज्यपाल श्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा—
“उदयपुर की झीलें केवल जलस्रोत नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। देवास परियोजनाओं के पूरा होने से शहर का पेयजल संकट स्थायी रूप से समाप्त होगा और झीलों की ऐतिहासिक गरिमा सुरक्षित रहेगी।”
उन्होंने केंद्र सरकार और संबंधित अधिकारियों का सहयोग के लिए आभार भी जताया।

निष्कर्ष

स्टेज-1 स्वीकृति के साथ देवास परियोजनाएँ अब वास्तविक क्रियान्वयन के एक कदम और करीब पहुंच गई हैं। यह उदयपुर के लिए मात्र एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि आने वाले समय में सुरक्षित जल भविष्य और मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में एक परिवर्तनकारी पहल है।