दिव्यांग बीएलओ की अदम्य इच्छाशक्ति: राजस्थान में विशेष गहन पुनरीक्षण-2026 बना मानवता की मिसाल
राजस्थान में विशेष गहन पुनरीक्षण-2026 में दिव्यांग बीएलओ बाबूलाल पुजारी, सूरजमल धाकड़ और कल्याणमल मीणा ने चुनौतियों के बावजूद 100% उपलब्धि हासिल कर प्रेरक उदाहरण पेश किए। राजस्थान डिजिटाइजेशन और निर्वाचन कार्य में देश में प्रथम स्थान पर।
दिव्यांग बीएलओ की अदम्य इच्छाशक्ति ने रचा इतिहास: राजस्थान में विशेष गहन पुनरीक्षण-2026 बना मानवता की मिसाल
जयपुर/उदयपुर, 24 नवंबर। राजस्थान में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण-2026 अभियान न केवल प्रशासनिक उपलब्धियों के कारण सुर्खियों में है, बल्कि इस अभियान ने मानवता, साहस, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा के वह प्रेरक उदाहरण भी दिए हैं, जो पूरे देश के लिए मिसाल बन रहे हैं। कई दिव्यांग बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) अपनी शारीरिक सीमाओं से ऊपर उठकर उन उपलब्धियों को संभव कर रहे हैं, जिन्हें सुनकर गर्व होता है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्री नवीन महाजन ने बताया कि राजस्थान ने अब तक 4 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र ईसीआई एवं नेट पर अपलोड कर देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। साथ ही एसआईआर अभियान चल रहे 12 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में राजस्थान ही एकमात्र राज्य है जहाँ 2000 से अधिक बूथ 100 प्रतिशत डिजिटाइज किए जा चुके हैं। पंचायत स्तर पर भी डिजिटाइजेशन अब तेजी से आगे बढ़ रहा है।
प्रारंभ में 78 बीएलओ को सम्मानित किया गया था, लेकिन समर्पण की यह श्रृंखला बढ़ते-बढ़ते अब 1800 से अधिक बीएलओ तक पहुँच चुकी है, जिनमें कई दिव्यांग अधिकारी अपने कार्य द्वारा प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
बाबूलाल पुजारी, गोगुंदा (उदयपुर) – “दिव्यांगता नहीं, जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है”

उदयपुर जिले की गोगुंदा विधानसभा के भाग संख्या 18 के बीएलओ बाबूलाल पुजारी ने गम्भीर भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद एसआईआर-2026 में शत-प्रतिशत कार्य पूरा किया है।
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पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों में घर-घर पहुंचना
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कई जगह नेटवर्क की समस्या
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कई बार बिना वाहन के पैदल लंबी दूरी तय करना
इन कठिनाइयों के बावजूद बाबूलाल ने दिनभर फॉर्म भरवाए और शाम को वापस लौटकर डिजिटाइजेशन पूरा किया। समयबद्धता, शत-प्रतिशतता और कर्तव्यनिष्ठा ने उन्हें एक उत्कृष्ट बीएलओ के रूप में स्थापित किया।
उनकी कार्यशैली ने यह साबित किया –
“दिव्यांगता बाधा नहीं, कर्तव्य का भाव ही व्यक्ति को बड़ा बनाता है।”
सूरजमल धाकड़, चित्तौड़गढ़ – “सीमा शरीर की हो सकती है, संकल्प की नहीं”

चित्तौड़गढ़ के रा.उ.प्रा.वि. मायरा के शिक्षक सूरजमल धाकड़, भाग संख्या 218 के दिव्यांग बीएलओ हैं। उन्होंने जिले में 100 प्रतिशत उपलब्धि हासिल करने वाले पहले दिव्यांग बीएलओ बनकर विशेष इतिहास रचा।
कार्यप्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ:
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90% घरों की मैपिंग पहले ही पूरी कर तेज शुरुआत
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बाहरी मतदाताओं का अलग रजिस्टर
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जहाँ फोटो उपलब्ध नहीं थे, वहाँ स्वयं जाकर व्यवस्था
सूरजमल ने शांत, संयमित और परिणाम-केंद्रित नेतृत्व से ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता के नए मानदंड स्थापित किए।
उनका संदेश आज पूरे प्रदेश में सुना जा रहा है –
“दृढ़ निश्चय हो तो कोई भी सीमा बाधा नहीं बन सकती।”
कल्याणमल मीणा, सवाई माधोपुर – सेवानिवृत्ति के बाद भी सेवा का जज़्बा

सवाई माधोपुर के भाग संख्या 16 के सेवानिवृत्त दिव्यांग बीएलओ कल्याणमल मीणा की कहानी सबसे प्रेरणादायी है। सेवानिवृत्ति के दो वर्ष बाद भी उन्होंने अपने उत्तराधिकारी बीएलओ जीतराम मीणा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया।
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वार्डवार जानकारी साझा की
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मतदाताओं की पहचान में प्रमुख सहयोग
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महिला मतदाताओं की पुष्टि में महत्वपूर्ण भूमिका
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आंगनवाड़ी, आशा और पटवारी टीम को साथ जोड़ा
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सुबह से देर रात तक बहुस्तरीय फॉर्म संधारण और अपलोड
कल्याणमल मीणा ने यह सिद्ध किया कि—
“कर्तव्य का रिश्ता पद से नहीं, भावना से होता है।”
राजस्थान का मानवीय चेहरा – समर्पण की अनूठी तस्वीर
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा:
“विशेष गहन पुनरीक्षण-2026 केवल दस्तावेज़ी कार्य नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना, आत्मबल और सेवा भावना की जीवंत मिसाल बन चुका है।”
राजस्थान आज देश में अग्रणी भूमिका में इसलिए है, क्योंकि बाबूलाल, सूरजमल और कल्याणमल जैसे बीएलओ ने अपने समर्पण से इस अभियान की रीढ़ मजबूत की है।
यह अभियान एक सशक्त संदेश देता है—
“बड़े लक्ष्य शरीर से नहीं, मन की स्वस्थता और संकल्प से हासिल होते हैं।”



