Udaipur: मौलिक संस्था का नाटक ‘ज़िंदगी 2.0’, युवाओं ने दी संवेदनशील प्रस्तुति
उदयपुर में मौलिक संस्था ने ‘ज़िंदगी 2.0’ का मंचन किया। नाटक ने भावनाओं को छुआ और नई पीढ़ी की दमदार प्रस्तुति ने दर्शकों का दिल जीत लिया।

‘ज़िंदगी 2.0’ ने उदयपुर में छुआ दर्शकों का दिल, नई पीढ़ी
की शानदार रंगमंच प्रस्तुति
उदयपुर, 7 सितंबर:
मौलिक ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ क्रिएटिव एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स ने रविवार को अपने नवीनतम नाटक ‘ज़िंदगी 2.0’ का मंचन किया, जिसने दर्शकों की भावनाओं को गहराई तक छू लिया।
युवा रंगकर्मी सचिन भंडारी ने निर्देशन के साथ ही डॉ. नायडू का दमदार किरदार निभाया। वहीं, एचआईवी पॉज़िटिव मरीज की भूमिका में आशुतोष पांडेय की सशक्त अदाकारी ने दर्शकों का दिल जीत लिया। दोनों कलाकारों को लंबे समय तक तालियों की गड़गड़ाहट मिली।
नाटक की कहानी
नाटक की कहानी राहगीर नामक पात्र के इर्द-गिर्द घूमती है, जो बीमारी और निराशा के बीच उम्मीद तलाशता है। राहगीर का संवाद श्रीकांत से होता है, जो लगातार सवाल पूछकर उसे जीवन के नए मायनों पर सोचने पर मजबूर करता है।
क्लाइमेक्स में खुलासा होता है कि वही श्रीकांत दरअसल डॉ. नायडू हैं। यह मोड़ दर्शकों को यह संदेश देता है कि कठिनाइयों के बाद भी जीवन को दोबारा शुरू किया जा सकता है। शीर्षक ‘ज़िंदगी 2.0’ इसी नई शुरुआत और पुनर्जन्म का प्रतीक है।
कलाकार और प्रतिक्रिया
कार्यक्रम में श्रद्धा मुर्डिया, गौतम राठौड़, प्रदीप पानेरी, सुभाष शर्मा, शैल चोयल और विलास जानवे सहित कई कला-प्रेमी मौजूद रहे। सभी ने इस प्रस्तुति को सामाजिक चेतना जगाने वाला बताया।
संस्था के संस्थापक-निदेशक शिवराज सोनवाल ने कलाकारों को बधाई दी और कहा,
“नई पीढ़ी का मंच पर आना रंगमंच के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।”
आने वाले कार्यक्रम
संस्था अब 28 सितंबर को ‘गाइड – वन्स अगेन’ का मंचन करने जा रही है। इसके अलावा, ‘एक और मौत’ और ‘पराई प्यास का सफर’ जैसे नए नाटक भी जल्द प्रस्तुत किए जाएंगे।
पिछले 25 वर्षों से मौलिक संस्था ने नाटकों जैसे कोर्ट मार्शल, अंदर आना मना है, शब्दबेज़ और सुन लड़की के माध्यम से मनोरंजन के साथ-साथ समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया है। ‘ज़िंदगी 2.0’ उसी सफर की एक नई और संवेदनशील कड़ी साबित हुआ।