उदयपुर में वेटलैंड क्षेत्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन केंद्रीय वन मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने किया पौधरोपण

उदयपुर के रामसर स्थल मेनार में वेटलैंड क्षेत्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव रजत अग्रवाल ने पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस मौके पर अन्य प्रमुख अतिथिगण भी मौजूद रहे।

उदयपुर में वेटलैंड क्षेत्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन केंद्रीय वन मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने किया पौधरोपण
उदयपुर में वेटलैंड क्षेत्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन केंद्रीय वन मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने किया पौधरोपण
उदयपुर में वेटलैंड क्षेत्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन केंद्रीय वन मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने किया पौधरोपण
उदयपुर में वेटलैंड क्षेत्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन केंद्रीय वन मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने किया पौधरोपण

उदयपुर के प्रमुख रामसर स्थल मेनार में वेटलैंड क्षेत्रीय कार्यशाला का दूसरा दिन विशेष समारोह के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री रजत अग्रवाल ने पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। कार्यशाला में वन संरक्षण और वेटलैंड प्रबंधन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।

कार्यशाला के दौरान श्री रजत अग्रवाल ने कहा कि वेटलैंड का संरक्षण न केवल जैव विविधता के लिए आवश्यक है, बल्कि यह जल संरक्षण और जलवायु संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन और पर्यावरण प्रेमियों से अपील की कि वे रामसर स्थल जैसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय स्थलों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं।

इस अवसर पर कई अन्य गणमान्य अतिथिगण, स्थानीय अधिकारी, और पर्यावरण कार्यकर्ता भी मौजूद थे, जिन्होंने पौधरोपण कार्यक्रम में हिस्सा लेकर इस पहल को सफल बनाया। कार्यशाला में वेटलैंड क्षेत्र की वर्तमान चुनौतियों, संरक्षण के लिए नई तकनीकों और स्थानीय समुदायों की भागीदारी पर भी विस्तार से बातचीत हुई।

रामसर स्थल मेनार, जो उदयपुर के प्रमुख वेटलैंड क्षेत्र में स्थित है, पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। इस कार्यशाला के माध्यम से स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर वेटलैंड संरक्षण को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है।

यह कार्यक्रम उदयपुर के वन विभाग और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया गया है। पौधरोपण के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और सतत विकास के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक सार्थक कदम माना जा रहा है।