अस्तित्व कार्यक्रम: किशोर स्वास्थ्य और शिक्षा के समन्वय से उज्जवल भविष्य की ओर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों का कदम

उदयपुर में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, यूएनएफपीए और आईपीईसीकेडी के संयुक्त तत्वावधान में ‘अस्तित्व’ कार्यक्रम के तहत दो दिवसीय सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षण का उद्देश्य किशोरों के स्वास्थ्य, शिक्षा और काउंसलिंग में समन्वय स्थापित कर उज्जवल भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाना रहा।

अस्तित्व कार्यक्रम: किशोर स्वास्थ्य और शिक्षा के समन्वय से उज्जवल भविष्य की ओर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों का कदम

“अस्तित्व”: स्वास्थ्य और शिक्षा के बीच मजबूत सेतु – किशोरों के उज्जवल भविष्य की दिशा में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों का सशक्त कदम

फोटो संलग्न
उदयपुर, 17 अक्टूबर। जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, यूएनएफपीए (UNFPA) एवं आईपीईसीकेडी (IPECKD) के संयुक्त तत्वावधान में ‘स्कूल स्वास्थ्य एवं कल्याण कार्यक्रम’ के अंतर्गत दो दिवसीय सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन होटल कनक श्री, उदयपुर में किया गया। इस प्रशिक्षण में उदयपुर और सलूंबर ब्लॉक के 30 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने भाग लेकर किशोर स्वास्थ्य, शिक्षा और काउंसलिंग के विभिन्न आयामों पर ज्ञानवर्धक सत्रों में हिस्सा लिया।


किशोर स्वास्थ्य सुधार ही बेहतर समाज की नींव: डॉ. अशोक आदित्य

जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अशोक आदित्य ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “विद्यालय भ्रमण के दौरान प्रभावी काउंसलिंग को सशक्त बनाना किशोर स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। किशोरियां भविष्य की माताएं हैं, और उनका स्वस्थ रहना आने वाली पीढ़ियों के मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की भूमिका ‘स्कूल हेल्थ एंड वेलनेस प्रोग्राम’ के सभी पहलुओं में केंद्रीय है, इसलिए आवश्यक है कि वे जनजातीय क्षेत्रों के किशोर-किशोरियों को संवेदनशील विषयों पर सहज होकर बात करने का आत्मविश्वास दें।


संतुलित मानसिकता और भावनात्मक स्थिरता भी उतनी ही जरूरी: राकेश मीणा

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक राकेश मीणा ने कहा कि “किशोरावस्था में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक एवं भावनात्मक संतुलन भी उतना ही आवश्यक है। काउंसलिंग को एक दिशा देकर छात्रों के भीतर आत्मविश्वास और संवादशीलता को बढ़ाना अत्यंत जरूरी है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह प्रशिक्षण स्कूलों में कार्यरत स्वास्थ्य अधिकारियों को व्यवहारिक दृष्टि से सक्षम बनाएगा ताकि वे वास्तविक परिस्थितियों में प्रभावी मार्गदर्शन कर सकें।





‘अस्तित्व’ कार्यक्रम से शिक्षा और स्वास्थ्य का गहरा समन्वय

अस्तित्व कार्यक्रम’ की नोडल अधिकारी, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की अमृता दाधीच ने अपने संबोधन में कहा कि “किशोरों के समग्र विकास के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा के बीच सेतु बनाना समय की आवश्यकता है। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को ज्ञान और कौशल से सशक्त कर हम न केवल उनकी क्षमता बढ़ा रहे हैं, बल्कि प्रत्येक किशोर के उज्जवल और स्वस्थ भविष्य की दिशा में ठोस कदम भी बढ़ा रहे हैं।”


संवादात्मक प्रशिक्षण और व्यवहारिक सत्रों पर विशेष जोर

अस्तित्व’ टीम से क्वीना मेहता, सोनम जैन और मनोज शर्मा ने प्रशिक्षण सत्रों को संवादात्मक और व्यवहारिक बनाते हुए प्रतिभागियों को किशोर स्वास्थ्य, संचार कौशल, और विद्यालयीय परामर्श से जुड़े व्यावहारिक पहलुओं से अवगत कराया।
प्रशिक्षण के दौरान स्वास्थ्य अधिकारियों को वास्तविक केस स्टडीज़, रोल-प्ले और समूह चर्चा के माध्यम से किशोरों की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं को समझने और समाधान आधारित दृष्टिकोण विकसित करने का अवसर मिला।


किशोर कल्याण की नई दिशा: सामूहिक प्रयासों की मिसाल

इस दो दिवसीय प्रशिक्षण का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को सामाजिक परिवर्तन के वाहक के रूप में तैयार करना था। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और यह संकल्प लिया कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में किशोर स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देंगे।