डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन का वार्षिक कैलेंडर 2026 का विमोचन | Mewar Heritage Calendar 2026 Launch
महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन, उदयपुर द्वारा प्रकाशित वार्षिक कैलेंडर 2026 का विमोचन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया। कैलेंडर में मेवाड़ के आराध्यदेव श्री एकलिंगनाथजी, प्रभु श्रीराम दरबार, बाप्पा रावल और महाराणा उदयसिंह के चित्र शामिल हैं, जो मेवाड़ की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।

डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया वार्षिक कैलेंडर 2026 का विमोचन
मेवाड़ की विरासत, संस्कृति और अध्यात्म को दर्शाता कैलेंडर
उदयपुर, 15 अक्टूबर।
महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन, उदयपुर द्वारा प्रकाशित वार्षिक कैलेंडर 2026 का विमोचन मंगलवार को फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया। इस कैलेंडर में मेवाड़ की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को सुंदरता से प्रस्तुत किया गया है।
डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने इस अवसर पर कहा कि “मेवाड़ की परंपराएं केवल इतिहास नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शन हैं। यह कैलेंडर उसी भावना का प्रतीक है जो हमें हमारे धर्म, संस्कृति और समाजसेवा की जड़ों से जोड़ता है।”
इस वर्ष के कैलेंडर 2026 के मुख्य पृष्ठ पर मेवाड़ के आराध्यदेव परमेश्वराजी महाराज श्री एकलिंगनाथजी, प्रभु श्रीराम का दरबार, मेवाड़ के मूल नरेश बाप्पा रावल, महर्षि हारीत राशि, तथा उदयपुर के संस्थापक महाराणा उदयसिंह और उनके वंशजों के चित्रों को प्रमुखता से स्थान दिया गया है। यह दृश्यावली मेवाड़ के धार्मिक आस्था, इतिहास और राजवंशीय परंपराओं की गौरवमयी झलक प्रस्तुत करती है।
कैलेंडर में 12 माह के डेट पेज पर अंग्रेजी तिथियों के साथ-साथ विक्रम संवत पंचांग के अनुसार व्रत, पर्व, जयंतियां और शुभ तिथियां भी दर्शाई गई हैं। यह अनूठा संगम आधुनिकता और परंपरा दोनों का संतुलन बनाए रखता है।
फाउंडेशन के अनुसार, इस कैलेंडर का उद्देश्य केवल तिथियों का निर्धारण नहीं, बल्कि समाज में मेवाड़ की धर्मनिष्ठा, नीति और सेवा भावना का प्रसार करना है। इसे एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित और साझा करने का संकल्प भी लिया गया है।
कार्यक्रम में फाउंडेशन के अधिकारी, कर्मचारी और समाजसेवी उपस्थित रहे। विमोचन के बाद कैलेंडर की प्रतियां आगंतुकों को वितरित की गईं, जिन्हें इस ऐतिहासिक दस्तावेज़ को देखकर मेवाड़ की परंपरा पर गर्व महसूस हुआ।