पौष्टिक अनाज योजना: उदयपुर में जिला स्तरीय कार्यशाला, श्रीअन्न को हर थाली तक पहुंचाने पर मंथन
उदयपुर में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन के तहत पौष्टिक अनाज योजना पर जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित हुई। श्रीअन्न, मिलेट्स की खेती, पोषण और स्वरोजगार पर विशेषज्ञों ने मार्गदर्शन दिया।
पौष्टिक अनाज योजनांतर्गत जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित, श्रीअन्न को हर थाली तक पहुंचाने पर मंथन
उदयपुर, 17 दिसम्बर।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (एनएफएसएनएम) के तहत पौष्टिक अनाज (श्रीअन्न) योजनांतर्गत बुधवार को राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय सभागार में एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कृषि विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में जिले के दूर-दराज गांवों से आए किसानों, एफपीओ, स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा अनुसूचित जनजाति कृषकों ने सहभागिता की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निदेशक अनुसंधान डॉ. अरविन्द वर्मा ने कहा कि भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बन चुका है, अब अगला लक्ष्य पौष्टिकता से भरपूर भोजन को हर परिवार की थाली तक पहुंचाना है। उन्होंने ज्वार, बाजरा, रागी, कांगणी, कोदो, सांवा, चीना और कुटकी जैसे मिलेट्स को दैनिक आहार में शामिल करने पर जोर देते हुए किसानों से अपनी कुल भूमि का 10 से 20 प्रतिशत हिस्सा श्रीअन्न की खेती के लिए समर्पित करने का आह्वान किया।
आरसीए की आचार्य एवं आनुवंशिकी एवं पादप परिजन विभागाध्यक्ष डॉ. हेमलता शर्मा ने श्रीअन्न की खेती की उन्नत तकनीकों की जानकारी देते हुए किसानों को आश्वस्त किया कि विभाग के माध्यम से मांग करने पर उन्हें गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। वहीं कृषि विभाग उदयपुर संभाग के अतिरिक्त निदेशक निरंजन सिंह राठौड़ ने बाजरा और इससे बनने वाले विभिन्न व्यंजनों की जानकारी साझा करते हुए कहा कि युवाओं को मिलेट्स के लाभ बताने के साथ-साथ नियमित रूप से इसके सेवन के लिए प्रेरित करना समय की आवश्यकता है।
सीसीएएस के खाद्य एवं पोषण विभाग की आचार्य डॉ. सरला लखावत ने मिलेट्स से बनने वाले विविध व्यंजनों जैसे रोटी, खिचड़ी, पुलाव, इडली, डोसा, उपमा, पोहा, ब्रेड और बेकरी उत्पादों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मिलेट्स आधारित उत्पादों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं और महिला स्वयं सहायता समूह इस दिशा में आर्थिक रूप से सशक्त बन सकते हैं। इच्छुक ग्रामीणों को प्रशिक्षण की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा सकती है।
कार्यशाला में पौध व्याधि विभाग के डॉ. पोखर रावल एवं आरसीए के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. आर. स्वामीनाथन ने मिलेट्स फसलों में लगने वाले प्रमुख कीट-व्याधियों, उनके उपचार और मित्र कीटों की उपयोगिता पर विस्तार से जानकारी दी। पूर्व उपनिदेशक कृषि गोपाल शर्मा ने कहा कि मिलेट्स मोटापा नियंत्रण, हृदय स्वास्थ्य, मधुमेह प्रबंधन और कैंसर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक हैं, इसलिए इन्हें दैनिक भोजन का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
कार्यक्रम की शुरुआत संयुक्त निदेशक सुधीर कुमार वर्मा के स्वागत उद्बोधन से हुई, जबकि संचालन महेश व्यास ने किया। कार्यशाला में विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से किसानों में श्रीअन्न के प्रति जागरूकता बढ़ी और इसे खेती व आहार दोनों स्तरों पर अपनाने का संकल्प लिया गया।



