विजया दशमी पर डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया अस्त्र-शस्त्र पूजन | मेवाड़ की शौर्य परंपरा

उदयपुर में विजया दशमी पर डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्रों का पूजन किया। सुपुत्र हरितराज को महाराणा प्रताप, सांगा और राजसिंह की शौर्य गाथाओं से अवगत कराया। मेवाड़ लान्सर्स आज भी भारतीय सेना का गौरव।

विजया दशमी पर डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया अस्त्र-शस्त्र पूजन | मेवाड़ की शौर्य परंपरा

मेवाड़ की शौर्य परंपरा जीवित: डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने विजया दशमी पर किया ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्रों का पूजन

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सुपुत्र हरितराज को कराया महाराणा प्रताप, सांगा और राजसिंह सहित पूर्वजों की वीर गाथाओं से अवगत | मेवाड़ लान्सर्स आज भी भारतीय सेना का हिस्सा

लेख:

उदयपुर।
विजया दशमी के पावन अवसर पर गुरुवार को मेवाड़ की धरती पर शौर्य और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने सिटी पैलेस स्थित ‘सलेहखाना’ (शस्त्रागार) में मंत्रोच्चारण के साथ परंपरानुसार ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्रों का पूजन किया। इस अवसर पर उनके सुपुत्र हरितराज सिंह मेवाड़ भी मौजूद रहे, जिन्हें डॉ. लक्ष्यराज ने मेवाड़ के प्रतापी पूर्वजों की शौर्य गाथाओं और परंपराओं से अवगत कराया।

पूजन में 7 तलवारें, ढाल, भाला, 2 बंदूकें, 2 कटार और धनुष-तीर विराजित किए गए। फौलादी लोहे से बनी ये तलवारें मेवाड़ी कारीगरी का अद्वितीय उदाहरण हैं। इनके मूठ पर सोने के तार, वर्क, कुंदन, मीनाकारी और रत्नजड़ित शिल्प कौशल का प्रदर्शन होता है। ढाल पर स्वर्ण कारीगरी, भाले और कटार पर अद्वितीय नक्काशी दर्शनीय रही। महाराणा प्रताप की सेना में मेवाड़ के आदिवासियों के धनुष-तीर की प्राथमिकता भी प्रेरणादायी रही है।

डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि सूर्यवंशी परंपरा में आश्विन शुक्ल दशमी को शस्त्र पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्र के नौ दिन शक्ति पूजन के बाद दशहरे पर शमी वृक्ष की पूजा और अस्त्र-शस्त्रों का पूजन होता है। अतीत में महाराणा, मंत्रिमंडल और सेना नगर से बाहर आयोजित मोहल्ला दरबार में अस्त्र-शस्त्र धारण कर सम्मिलित होते थे।

मेवाड़ के सैन्य बलों की गौरवगाथा

  • महाराणा सज्जन सिंह (1874–1884) ने ‘सज्जन इंफेन्ट्री’ का गठन किया, जिसे बाद में 1942 में इंडियन स्टेट्स फोर्स और स्टेट सर्विस यूनिट के रूप में पुनर्गठित किया गया।

  • महाराणा फतह सिंह (1884–1930) ने मेवाड़ लान्सर्स का गठन किया। वर्तमान में यह बल भारतीय सेना में भारतीय राज्य बल की ‘ए’ श्रेणी की इकाई के रूप में कार्यरत है।

  • इन सैन्य इकाइयों के ध्वज (निशान) पर सज्जन इंफेन्ट्री और मेवाड़ लान्सर्स का गौरवशाली इतिहास अंकित है, जो शौर्य, पराक्रम और गौरव का प्रतीक है।

पूर्वजों की विरासत, नई पीढ़ी की प्रेरणा

डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने अपने पुत्र हरितराज को महाराणा सांगा, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप, महाराणा राजसिंह और अन्य प्रतापी पूर्वजों की गाथाओं से अवगत कराते हुए कहा—
“ये केवल अस्त्र-शस्त्र नहीं, बल्कि हमारी परंपरा, शौर्य और राष्ट्र के प्रति समर्पण का प्रतीक हैं। आने वाली पीढ़ियों का कर्तव्य है कि वे इस गौरवशाली विरासत को जीवित रखें।”

मेवाड़ का यह शस्त्र पूजन न केवल धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह भावी पीढ़ियों के लिए साहस, पराक्रम और राष्ट्रप्रेम का प्रेरणास्रोत भी है।