डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया ‘वोटरी’ का शुभारंभ | उदयपुर में परंपरा और शिल्पकला को नया मंच
उदयपुर में डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने विजया दशमी पर ‘वोटरी’ का शुभारंभ किया। यह मंच पारंपरिक हथकरघों, प्राचीन शिल्पकला और कारीगरों की आजीविका को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।

डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया ‘वोटरी’ का शुभारंभ
उदयपुर, 2 अक्टूबर।
विजया दशमी के पावन अवसर पर उदयपुर के जगदीश मार्ग स्थित ‘वोटरी’ का भव्य शुभारंभ मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ द्वारा किया गया। इस मौके पर पारंपरिक कलाओं, प्राचीन शिल्पकला और जीवंत रीति-रिवाजों को सम्मान देने की दिशा में एक नई पहल की शुरुआत हुई।
‘वोटरी’ को कारीगरों की कारीगरी को प्रोत्साहित करने और उनकी आजीविका को सशक्त बनाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। यहाँ पारंपरिक हथकरघों से लेकर प्राचीन कला-धरोहरों तक का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा।
इस अवसर पर संस्थापिका श्रीमती निवृत्ति कुमारी मेवाड़ ने बताया कि वोटरी भारत की विविध सांस्कृतिक धरोहरों का अनूठा संगम है। उन्होंने कहा,
“यह मंच पटना-बलांगीर और मेवाड़ की जीवंत संस्कृतियों को एक सूत्र में पिरोकर, पूर्व और पश्चिम की कलाओं का ऐसा मिलन कराता है, जहाँ यह कलाएं खिलेंगी भी और महकेंगी भी।”
भारत की सदियों पुरानी परंपराओं और रीति-रिवाजों में बुनकरों, शिल्पियों और कारीगरों की अहम भूमिका रही है। इन कलाओं में कई प्राचीन गाथाओं और परंपराओं की गूंज आज भी सुनाई देती है। वोटरी इसी सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का एक सशक्त प्रयास है।
डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने इस पहल को मेवाड़ की गौरवशाली परंपरा से जुड़ा बताते हुए कहा कि “कारीगर ही हमारी असली धरोहर हैं, और उनकी कला ही हमारी पहचान है। वोटरी न केवल परंपराओं को सहेजने का कार्य करेगा, बल्कि कारीगरों को सम्मान और नई दिशा भी प्रदान करेगा।”
‘वोटरी’ का यह मंच अब उदयपुर ही नहीं, बल्कि पूरे देश की कला-संस्कृति को एक नई पहचान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है।