संभाग स्तरीय वाटरशेड महोत्सव 2025: नवाचार व उत्कृष्ट कार्यों का सम्मान
उदयपुर में आयोजित संभाग स्तरीय वाटरशेड महोत्सव 2025 में जलग्रहण विकास के नवाचारों पर मंथन, मॉडल प्रदर्शनी, कॉफी टेबल बुक विमोचन और उत्कृष्ट कार्यों का सम्मान किया गया।
संभाग स्तरीय वाटरशेड महोत्सव 2025: नवाचारों पर हुआ मंथन, उत्कृष्ट कार्यों को मिला सम्मान
उदयपुर, 5 दिसम्बर। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के अंतर्गत संभाग स्तरीय वाटरशेड महोत्सव 2025 का एक दिवसीय भव्य आयोजन शुक्रवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार, टाउन हॉल उदयपुर में आयोजित किया गया। जलग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विभाग द्वारा आयोजित इस महोत्सव में संभाग के सभी जिलों के अधिकारी, सामाजिक संगठन, जनप्रतिनिधि व जल-संरक्षण क्षेत्र से जुड़े प्रतिभागी शामिल हुए।

नवाचारों पर मंथन, मॉडल प्रदर्शनी और फिल्मों की प्रस्तुति
महोत्सव के दौरान राजीविका, अर्पण सेवा संस्थान, महान सेवा संस्थान सहित विभिन्न जिलों की टीमों ने मॉडल प्रदर्शनी, पीपीटी और वीडियो फिल्मों के माध्यम से जलग्रहण विकास के नवोन्मेषी कार्य प्रस्तुत किए। इन प्रदर्शनों में जल संरक्षण, भू-संरक्षण तकनीक, आजीविका संवर्द्धन और ग्रामीण विकास से जुड़े कई मॉडल विशेष आकर्षण का केंद्र बने। प्रतिभागियों ने इन नवाचारों को सराहा और अपने-अपने क्षेत्रों में अपनाए गए सफल अनुभव भी साझा किए।
कॉफी टेबल बुक का विमोचन—मुख्य आकर्षण रहा
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक उदयपुर ग्रामीण फूल सिंह मीणा, जिला परिषद सीईओ श्रीमती रिया डाबी, अतिरिक्त मुख्य अभियंता अतुल जैन तथा भारत सरकार के वाटर हीरो डॉ. पी. सी. जैन द्वारा वाटरशेड महोत्सव कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया गया। यह पुस्तक संभाग में किए जा रहे जलग्रहण कार्यों, नवाचारों और उपलब्धियों का दस्तावेज प्रस्तुत करती है।
उत्कृष्ट कार्यों को मिला सम्मान
महोत्सव में जलग्रहण विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले—
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विभिन्न जलयोद्धाओं,
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सरपंचों,
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जलागम समितियों के सदस्यों
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तथा सामाजिक संगठनों
को सम्मानित किया गया।
साथ ही, भारत सरकार से 20 लाख रुपये प्रति परियोजना पुरस्कार प्राप्त करने वाली उदयपुर की 06 जलग्रहण परियोजनाओं और राजसमंद की 01 परियोजना को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। यह उपलब्धि ग्रामीण क्षेत्रों में जल-संरक्षण और आजीविका संवर्धन की दिशा में किए गए बेहतरीन प्रयासों को दर्शाती है।
जल-संरक्षण से बदली ग्रामीण जीवन की तस्वीर
विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागियों ने बताया कि जलग्रहण परियोजनाओं के चलते—
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खेती-किसानी में सुधार,
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पेयजल संकट से राहत,
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महिलाओं के श्रम में कमी,
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और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती
जैसे सकारात्मक बदलाव हुए हैं। कई ग्रामीण क्षेत्रों में जल उपलब्धता बढ़ने से आजीविका के नए अवसर भी विकसित हुए हैं।
जल-शपथ के साथ कार्यक्रम का समापन

कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने जल-शपथ लेकर जल-संरक्षण को अपनी जीवन-शैली का हिस्सा बनाने का संकल्प लिया। महोत्सव ने स्पष्ट संदेश दिया कि सामुदायिक भागीदारी और नवाचार ही जल-सुरक्षा का आधार हैं।



