चित्तौड़गढ़ के बीएलओं की मिसाल — SIR-2026 में 100% उपलब्धि, Rajasthan में नया रिकॉर्ड
SIR-2026 के दौरान चित्तौड़गढ़ जिले के बीएलओं ने बीमारी, दिव्यांगता, अनुभव की कमी और शहरी चुनौतियों के बावजूद समय से पहले 100% कार्य पूरा कर राजस्थान में समर्पण और सफलता की नई मिसाल कायम की।
चित्तौड़गढ़ के बीएलओं ने रचा समर्पण का इतिहास, चुनौतियों के बीच 100% उपलब्धि का रिकॉर्ड
जयपुर, 23 नवंबर। राजस्थान में विशेष संक्षिप्त गहन पुनरीक्षण – 2026 (SIR-2026) अभियान के दौरान चित्तौड़गढ़ जिले ने न केवल आँकड़ों में, बल्कि इच्छाशक्ति, समर्पण और मैदानी कार्य क्षमता में भी प्रदेश में अपनी अग्रणी छाप छोड़ी है। इस उपलब्धि के केंद्र में हैं वे बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) जिन्होंने व्यक्तिगत चुनौतियों, स्वास्थ्य समस्याओं, सीमाओं और परिस्थितियों से जूझते हुए भी 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक चल रहे इस अभियान के तहत रिकॉर्ड समय में कार्य पूरा कर मिसाल कायम की।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्री नवीन महाजन ने इन अधिकारियों की अद्वितीय तत्परता, जिम्मेदारी और समर्पण की सराहना करते हुए इसे “अनुकरणीय और प्रेरणास्पद” बताया। उन्होंने नागरिकों से भी मतदान सूची सुधार अभियान में सक्रिय सहयोग की अपील की।
सुनीता सोनी – बीमारी से जूझकर बनीं जिले की पहली महिला 100% उपलब्धि वाली बीएलओ

राप्रावि गाडरियावास की शिक्षिका और भाग संख्या 171 की बीएलओ सुनीता सोनी लंबे समय से स्त्री-स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रही थीं। बावजूद इसके, उन्होंने लक्ष्य को सर्वोपरि रखते हुए व्यक्तिगत समस्याओं को पीछे छोड़ा और जिले की पहली महिला बीएलओ बनीं जिन्होंने समय से पहले 100% कार्य पूरा किया।
उन्होंने गाँव की महिलाओं से बेहतर संवाद के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ टीमवर्क करते हुए रणनीति से अभियान चलाया। सुनीता का संदेश स्पष्ट है—
“रणनीति सही हो तो तनाव नहीं, केवल उपलब्धि मिलती है।”
सूरजमल धाकड़ – दिव्यांगता को मात देकर सबसे तेज़ बीएलओ में शामिल

भाग संख्या 218 के बीएलओ और राउप्रावि मायरा के शिक्षक सूरजमल धाकड़ शारीरिक दिव्यांगता के बावजूद जिले के सबसे तेज़ 100% उपलब्धि वाले बीएलओ में शामिल हुए। वे चित्तौड़गढ़ के पहले दिव्यांग बीएलओ हैं जिन्होंने यह रिकॉर्ड स्थापित किया।
पूर्व मैपिंग के कारण कार्य सुगम हुआ, लेकिन जहां फोटो उपलब्ध नहीं थे, वे स्वयं पहुँचकर समस्या का समाधान लेकर लौटे। धाकड़ का संदेश प्रेरणादायक है—
“सीमाएँ शरीर की होती हैं, हौसले की नहीं।”
कोमल कटारिया – दो महीने का अनुभव, लेकिन उपलब्धि सबको पीछे छोड़ गई
राउप्रावि सूरजपोल की शिक्षिका और भाग संख्या 93 की बीएलओ कोमल कटारिया को जिम्मेदारी संभालने हुए केवल दो महीने हुए थे। अनुभव की कमी थी, पर जुनून और मेहनत कम नहीं।
गाँव में शुरुआत में सहयोग की कमी थी, लेकिन उन्होंने स्थानीय प्रभावी लोगों को साथ जोड़कर संवाद बढ़ाया और लक्ष्य समय से पहले पूरा कर दिया। उनकी सफलता यह साबित करती है—
“नई भूमिका में भी जुनून पुरानी सीमाओं को तोड़ देता है।”
गोपाललाल शर्मा – दुर्घटना के बाद भी कर्तव्य से नहीं हटे कदम

राउप्रावि रामाखेड़ा के शिक्षक और भाग संख्या 19 के बीएलओ गोपाललाल शर्मा कुछ समय पहले दुर्घटना का शिकार हुए थे, जिसके कारण सिर और कमर दर्द लगातार बना रहा। फिर भी वे जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटे।
उन्होंने मैपिंग आधारित प्रारूप तैयार किए और जिन मतदाताओं के फोटो उपलब्ध नहीं थे, वे स्वयं जाकर फोटो लेकर आए। अनुभव और सकारात्मकता इस कठिन समय में उनकी सबसे बड़ी ताकत साबित हुई।
देवकीनंदन वैष्णव – शहरी चुनौतियों में भी तेज़ी का बेहतरीन उदाहरण

भाग संख्या 107 के बीएलओ देवकीनंदन वैष्णव शहरी क्षेत्र की जटिल परिस्थितियों—मजदूरों के पलायन, प्रवास, बदलते पते आदि—के बावजूद 21 नवंबर तक ही 955 मतदाता प्रपत्र पूरे कर चुके थे।
स्काउटिंग अनुभव, मैदानी समझ और तेज़ रणनीति ने उन्हें जिले के सबसे तेज़ और कार्यकुशल बीएलओ में शामिल कर दिया।
समर्पण ने बनाया चित्तौड़गढ़ को उत्कृष्ट जिला

बीमारी, दिव्यांगता, दुर्घटना, अनुभव की कमी या जटिल क्षेत्र—चुनौतियाँ भले अलग थीं, लेकिन इन सभी बीएलओ में एक समान तत्व था—
कर्तव्य के प्रति अविश्वसनीय समर्पण।
इन्हीं मजबूत कदमों और अथक प्रयासों ने चित्तौड़गढ़ को राजस्थान के सबसे उत्कृष्ट जिलों में शामिल करते हुए विशेष संक्षिप्त गहन पुनरीक्षण अभियान में नई मिसाल स्थापित की है।



