विश्व स्ट्रोक दिवस पर आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में चिकित्सा कार्यशाला | स्ट्रोक मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकता है ‘सेतु सिस्टम’
विश्व स्ट्रोक दिवस पर उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज में न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यशाला आयोजित की गई। प्राचार्य डॉ. विपिन माथुर ने कहा कि ‘सेतु सिस्टम’ स्ट्रोक मरीजों के लिए जीवनरक्षक सिद्ध हो सकता है। विशेषज्ञों ने गोल्डन ऑवर, सीटी-एमआरआई, ब्रेन हेमरेज और ब्रेन डेथ पर जानकारी दी।
विश्व स्ट्रोक दिवस पर आरएनटी मेडिकल कॉलेज में सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यशाला आयोजित
सेतु सिस्टम स्ट्रोक मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकता है – प्रो. विपिन माथुर
उदयपुर, 29 अक्टूबर।
विश्व स्ट्रोक दिवस के अवसर पर आरएनटी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग के तत्वावधान में बुधवार को सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ. विपिन माथुर मुख्य अतिथि रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. तरुण रलोट ने की। सीएमएचओ डॉ. अशोक आदित्य विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यशाला की शुरुआत में डॉ. रलोट ने अतिथियों का स्वागत करते हुए स्ट्रोक (मस्तिष्काघात) के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि भारत में स्ट्रोक एक तेजी से उभरती स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। चिकित्सकों को नवीनतम उपचार विधियों से अपडेट रहना आवश्यक है ताकि मरीजों को समय पर सही उपचार मिल सके।

मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. विपिन माथुर ने कहा कि स्ट्रोक के मामलों में समय सबसे महत्वपूर्ण तत्व होता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष की थीम “हर मिनट उपयोगी है” (Every Minute Counts) इसी बात पर जोर देती है। डॉ. माथुर ने कहा कि ज्यादातर मरीज अस्पताल देर से पहुंचने के कारण गंभीर स्थिति तक पहुंच जाते हैं, जिससे ब्रेन हेमरेज या स्थायी लकवा जैसी जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं।
उन्होंने कहा कि आरएनटी मेडिकल कॉलेज और एमबी हॉस्पिटल का “सेतु” ब्रिजिंग रेफरल सिस्टम ऐसे मरीजों के लिए जीवनरक्षक वरदान साबित हो सकता है। इस सिस्टम से समय रहते रेफरल और उपचार की प्रक्रिया तेज होती है, जिससे स्ट्रोक के मरीजों को बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञ चिकित्सकों ने स्ट्रोक से जुड़ी विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए।
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डॉ. मयंक चौधरी ने स्ट्रोक निदान में सीटी एवं एमआरआई की भूमिका पर प्रकाश डाला।
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डॉ. गौरव जायसवाल ने गोल्डन ऑवर में न्यूरोसर्जरी के महत्व को समझाया।
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डॉ. सावन शुक्ला और डॉ. शालिनी ने क्रमशः ब्रेन हेमरेज एवं ब्रेन डेथ पर विस्तृत जानकारी दी।
इसके अलावा डॉ. ईशा शुक्ला द्वारा आयोजित स्ट्रोक क्विज प्रतियोगिता में डॉ. नेहा जैन, डॉ. आकाश और डॉ. साजिद विजेता रहे।
कार्यक्रम का समन्वय डॉ. शुभम और वरिष्ठ तकनीकी सहायक राकेश राठौड़ ने किया।
कार्यशाला में जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों से आए चिकित्साधिकारियों, फिजीशियन और रेजीडेंट डॉक्टर्स ने भाग लिया।
विशेषज्ञों ने स्ट्रोक के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने, शीघ्र निदान एवं त्वरित उपचार को ही मरीज के जीवन की सुरक्षा का मूलमंत्र बताया।



